लीची की बागवानी करने वाले किसान जान ले वैज्ञानिकों की यह सलाह
नई दिल्ली। अगर आप लीची की बागवानी करते है तो नर्सरी टुडे की यह खबर आपके लिए खास हो सकता है। बिहार की मुजफ्फरपुर की लीची की मांग विदेशों में भी रहती है। लेकिन मौसम में बदलाव के कारण लीची के बागवानी में स्टिंग बग कीट का अटैक तेजी से बढ़ने की आशंका है। इस कीट से बचाने के लिए राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक, किसानों को सतर्क रहने का सुझाव दे रहे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार समय पूर्व प्रबंधन से इसके असर को कम किया जा सकता है।
फरवरी माह में बारिश कम होने से लीची के कोमल पत्तों, डालियों और कलश को लाल कीट चट कर जा रहे हैं, इन कीटों की संख्या बागान में लागातार बढ़ती जा रही है। कीटों की आतंक को देखकर किसानों के साथ-साथ कृषि वैज्ञानीक भी चिंचित हैं।
क्या है वैज्ञानिकों की सलाह?
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर के निदेशक डॉ. विकास दास के अनुसार स्टिंग बग कीट का अटैक फरवरी और मार्च में होता है। यह पेड़ पर छा जाते हैं और कोमल पत्ते और कलियों का रस चूसने लगते हैं। यह कीट देखने में लाल रंग का होता है। उन्होंने किसानों को सलाह दिया है कि अगर आपके पेड़ पर लाल कीट दिखे तो तुरंत दवा का छिड़काव करें। हलांकि राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर के निर्देशक पहले सलाह दे चुके है कि मंजर आने के समय लाल कीटनाशक का छिड़काव नहीं करना चाहिए।