Fig Cultivation: बंजर जमीन पर उगाएं अंजीर की खेती, सरकार देगी 50% अनुदान
जुलाई एवं अगस्त में अंजीर की खेती की जाती है। इसकी खेती पर सरकार 50 प्रतिशत तक का अनुदान भी दे रही है। किसान एवं बागवान इसका फायदा उठा सकते हैं। चूंकि अंजीर से बने उत्पादों की बाजार में काफी मांग रहती हैं इसलिए इसकी खेती से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।
रवि प्रकाश मौर्य
नई दिल्ली। स्वास्थ्यवर्धक और पोषण से भरपूर फलों में अंजीर का नाम भी शामिल है, जिसे सूखा मेवा या ताजा फल के रूप में खाया जाता है। अंजीर से बने उत्पादों की बाजार में काफी मांग रहती है। ऐसे में अंजीर की खेती किसानों एवं बागवानों के लिए बेहद फायदेमंद हो सकती है। सबसे बड़ी बात ये कि इसकी खेती पर सरकार 50 प्रतिशत तक का अनुदान भी दे रही है। अंजीर की खेती (Fig Cultivation) ऐसी खेती है, जिसे आप बंजर जमीन या कम उपजाऊ जमीन में भी कर सकते हैं। इसके पौधे 2 साल के अंदर ही फल भी देने लगते हैं। तो देर किस बात की है, इस साल अंजीर की खेती करने का प्लान बना ही डालिए। रही बात इससे संबंधित समस्त जानकारी की तो वो हम आपको मुहैया करा दे रहे हैं।
पहले बात करते हैं अनुदान की। केंद्र सरकार राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत अंजीर की खेती में आने वाली लागत पर 50 प्रतिशत का अनुदान दे रही है। राज्य सरकारें भी अपने-अपने हिसाब से राज्य की भूमि, जलवायु व मौसम के आधार पर इसकी खेती पर 50 प्रतिशत या उससे अधिक राशि का अनुदान दे रही हैं। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की बंजर पड़ी जमीनों को फिर से खेती योग्य बनाने का फैसला लिया है। सरकार उन्हें 50 प्रतिशत से अधिक तक का अनुदान देगी, जो अंजीर की खेती करेंगे। फिलहाल अंजीर की खेती में राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में सफलतापूर्वक की जा रही है।
अंजीर की खेती आमतौर पर जुलाई और अगस्त के महीने में की जाती है। चूंकि इसकी खेती के लिए कम पानी की जरूरत पड़ती है तो इसकी खेती सूखे क्षेत्रों में भी सफल हो सकती है। अंजीर की खेती से कोई कितना मुनाफा कमा सकता है, इसे एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिये कि आप अपने खेत में 500 पौधे अंजीर के लगाते हैं। 2-3 साल बाद पौधे बड़े होने पर इनमें 10-15 किलो प्रति पेड़ फल लगते हैं। इस समय बाजार में एक किलो अंजीर का दाम 600 से 900 रुपये प्रति किलो है। इस तरह आप साल भर में 30 से 45 लाख रुपये तक की कमाई बड़े आराम से कर सकते हैं।
अंजीर की उन्नत किस्में
अंजीर की कई किस्में विकसित की गई हैं। उनमें से कुछ बेहतर किस्में इस प्रकार से हैं-
पंजाब अंजीर: पंजाब अंजीर किस्म के फल आकार में बड़े और पीले रंग के होते हैं। इसके पौधे सामान्यत: 2 साल बाद फल देना शुरू कर देते हैं। पौधे की लंबाई 10 से 15 फीट की होती हैं। 5 वर्ष के पौधे की औसतन पैदावार 15 से 18 किलोग्राम तक प्राप्त हो सकती है।
पुणे अंजीर: पुणे अंजीर का फल आकार में मध्यम और पीले रंग के होते हैं। इसके पौधे 35 डिग्री से 40 डिग्री तक के तापमान में अच्छी बढ़ोतरी करते हैं। पौधे की ऊंचाई 8 फीट और चौड़ाई 2.5 मीटर तक होती है। पुणे अंजीर के पौधे 1 वर्ष की आयु पूरी करते ही फल देना शुरु कर देते हैं।
मार्शलीज अंजीर: मार्शलीज अंजीर, अंजीर के पौधे की हाइब्रिड किस्म है। इसके फल का भंडारण अधिक समय तक किया जा सकता है। इसके पौधे की लंबाई 3 से 5 मीटर तक की होती है। मार्शलीज अंजीर के प्रत्येक पौधे से 1 वर्ष में 20 से 25 किलोग्राम तक फल प्राप्त हो सकते हैं।
पुणेरी अंजीर: पुणेरी अंजीर किस्म के फल स्वादिष्ट और जामुनी रंग के होते हैं। इसके पौधे की ऊंचाई 8 से 12 फीट तक होती है। एक पौधे से 1 वर्ष में 21 से 25 किलोग्राम तक फल प्राप्त हो सकते हैं।
जलवायु और मिट्टी
अंजीर की खेती करने के लिए शुष्क और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। अंजीर की खेती करने के लिए अच्छी जल निकासी वाली उपजाऊ दोमट भूमि की जरूरत होती है। अंजीर की खेती के लिए 6 से 7 पीएच मान वाली मिट्टी अच्छी मानी जाती है। अंजीर के फल की अच्छी पैदावार पाने के लिए 25 से 35 डिग्री तक का तापमान उपयुक्त होता है।
खेत की तैयारी
अंजीर की खेती में भुरभुरी मिट्टी की आवश्यकता होती हैं। सबसे पहले खेत से फसलों के अवशेष हटाने के लिए कल्टीवेटर की मदद से खेत की 2 से 3 बार तिरछी जुताई करके फसल अवशेष को हटा लें। इसके बाद खेत की मिट्टी को रोटावेटर की मदद से भुरभुरी बना लें। उसके बाद खेत को पाटा लगाकर समतल बना लें। इसके बाद 5-5 मीटर की दूरी पर गड्ढे बना लें। इन गड्ढों में अंजीर के पौधे की रोपाई के बाद हल्की सिंचाई कर दें।
बुआई और बीज की मात्रा
अंजीर के पौधों की रोपाई के लिए बारिश का मौसम जुलाई से अगस्त का महीना सबसे उपयुक्त होता है। सबसे पहले आप अंजीर के पौधें की नर्सरी तैयार कर लें या आप अपने पास की नर्सरी से उन्नत किस्म का पौधा खरीद सकते हैं। एक हेक्टेयर में करीब 250 पौधों की जरूरत होती है। एक पौधे से दूसरे पौधे के बीच की दूरी 5 मीटर रखें।
पौधों की सिंचाई
अंजीर की खेती में पौधे की सिंचाई मौसम के चक्र के अनुसार होती हैं। अगर आपने पौधा बारिश के मौसम में लगाया है, तो आपको सिंचाई की जरूरत कम ही पड़ेगी। सर्दियों के मौसम में 14 से 20 दिन के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए। गर्मियों के मौसम में अंजीर के पौधों को अधिक सिंचाई की जरूरत होती है इसलिए सप्ताह में दो बार सिंचाई अवश्य कर देनी चाहिए। बारिश के मौसम में अगर समय पर बारिश न हो तो आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए।
पौधों की देखभाल
अंजीर के पौधों से अधिक फल का उत्पादन प्राप्त करने के लिए पौधे की देखभाल करना काफी जरूरी होता है। अंजीर के पौधे की अच्छी बढ़वार होने के लिए पौधों को खेत में लगाने के एक साल बाद उनकी छटाई कर दें। पौधों की पहली छटाई के दौरान पौधों पर 1 मीटर की ऊंचाई तक कोई भी नई शाखा न बनने दें। इसके अलावा इसकी अधिक लंबी बढ़ने वाली शाखा की कटाई कर दें ताकि पौधे में नई शाखा लगे और पौधा घना हो जाए। पौधे के घने होने से पैदावार में बढ़ोतरी होती है। अंजीर के पौधों की छटाई फल आने शुरू होने के बाद हर साल गर्मियों के मौसम में करना चाहिए।
खरपतवार नियंत्रण
अंजीर की खेती में खरपतवार होने की स्थिति में निराई-गुड़ाई करने की आवश्यकता होती हैं इसीलिए आपको जब भी अंजीर के खेतों में खरपतवार दिखे उसे निराई करके निकाल दे। सामान्यत: अंजीर की खेती में दो निराई-गुड़ाई करना पर्याप्त होता है।
फलों की तुड़ाई
अंजीर के पौधों से फलों की तुड़ाई, फलों के पूरी तरह से पकने के बाद ही करनी चाहिए क्योंकि इसके कच्चे फल को तोड़ने से फल अच्छी तरह से पकते नहीं हैं। इस वजह फलों की गुणवत्ता में कमी आ जाती है व फल आधे पके होने के कारण किसानों को बाज़ार में अंजीर के फल का सही दाम नहीं मिल पाता, इसलिए इसके फलों को अच्छी तरह से पकने के बाद ही तोड़ना चाहिए।