FLAVR SAVR TOMATO: Such a tomato, which does not spoil for 45 days

FLAVR SAVR TOMATO : ऐसा टमाटर, जो 45 दिनों तक खराब नहीं होता

इन दिनों टमाटर के महंगा होने का मुख्य कारण है कि टमाटर की सेल्फ लाइफ का कम होना। आइये आज आपको ऐसे टमाटर के बारे में बताते हैं जो 45 दिन तक खराब नहीं होते हैं…

रवि प्रकाश मौर्य

नई दिल्ली। सब्जियों की फेहरिस्त में आजकल टमाटर एक ऐसा नाम बन गया है, जिसकी हैसियत किसी सुपरस्टार से कम नहीं है। इतना ही नहीं, इसके बारे में बॉलीवुड के सुपरस्टार भी चर्चा कर रहे हैं। कुछ दिनों पहले फिल्म स्टार सुनील शेट्टी ने भी कहा था कि टमाटर महंगा होने से उन्होंने इसे खाना कम कर दिया है। सोशल मीडिया पर भी हर तरह की पोस्ट में सिर्फ टमाटर ने ही कब्जा किया हुआ है। टमाटर पर तरह-तरह की मीम बनाई जा रही है।

दरअसल, टमाटर सुपरस्टार इसलिए बना क्योंकि इन दिनों टमाटर के दाम आसमान छू रहे हैं। टमाटर महंगा क्यों है, इसके कई कारण हैं। इनमें से एक बड़ा कारण ये भी है कि टमाटर की सेल्फ लाइफ बहुत कम होती है। टमाटर की सेल्फ लाइफ ज्यादा होती तो उसे ज्यादा समय तक सुरक्षित रखा जा सकता। ऐसे में आपका ये सवाल हो सकता है कि अभी तक कृषि वैज्ञानिकों ने इस पर काम क्यों नहीं किया? तो आपको बता दें कि वैज्ञानिकों ने टमाटर की एक ऐसी किस्म विकसित कर चुके हैं, जिसकी सेल्फ लाइफ अधिक है। इस किस्म के टमाटर 45 दिन तक खराब नहीं होते हैं।

लम्बी सेल्फ लाइफ वाले टमाटर की इस खास किस्म का नाम “FLAVR SAVR TOMATO” है। इन टमाटरों को आमतौर पर “फ्लेवर सेवर” के नाम से जाना जाता है। जेनेटिक इंजीनियरिंग की भाषा में इसे CGN- 89564-2 कहा जाता है। आमतौर पर टमाटर काफी जल्दी पक जाते हैं, इसीलिए इनकी सेल्फ लाइफ बहुत कम होती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए टमाटर को जेनेटिक इंजीनियरिंग के माध्यम से जीन साइलेंसिंग की टेक्निक द्वारा बनाया गया। कैलिफोर्निया की ‘कैलगेन’ कंपनी ने टमाटर के प्राकृतिक रंग और स्वाद में बदलाव लाए बिना उसके जल्दी से पकने की प्रक्रिया को धीमा कर दिया।

जल्दी क्यों नहीं पकता फ्लेवर सेवर टमाटर (FLAVR SAVR TOMATO) ?

टमाटर की सेल वॉल (कोशिका भित्ति) पेक्टिन की बनी होती है, जिसमें पीजी जीन पाई जाता है जो कि एक प्रोटीन पॉलीगैलेक्टुरोनेज़ एंजाइम है। पॉलीगैलेक्टुरिक एसिड के कारण टमाटर की सेल वॉल में मौजूद पेक्टिन वॉल मुलायम (Soft) हो जाता है। इसी कारण टमाटर पक जाते हैं लेकिन जीन मेथड द्वारा इस पीजी जीन को साइलेंट या सुप्रेस कर दिया गया, जिससे इन टमाटरों के अंदर यह प्रोटीन नहीं बनती है। इससे यह न जल्दी पकते हैं और न ही जल्दी खराब होते हैं।

किसने विकसित की ये किस्म ?

प्राकृतिक या ऑर्गेनिक टमाटर का जीवन बहुत लंबा नहीं होता है। इसका खामियाजा प्रोसेस फूड इंडस्ट्री और मंडी व्यापारी व किसान को भुगतना पड़ता है। ऐसे में टमाटर का जीवन बढ़ाने के लिए टमाटर के साथ कई जीन तकनीक के प्रयोग किए गए, जिसमें से एक सफल किस्म को फ्लेवर सेवर (Flavr Savr) कहा गया। फ्लेवर सेवर अनुवांशिक रूप से तैयार मानव निर्मित पहला ‘जीएमओ’ (GMO) था, जिसको लाइसेंस दिया गया था। फ्लेवर सेवर 1980 की दशक में कैलीफोर्निया की कंपनी कैलगेन (CALGENE) द्वारा विकसित किया गया था। मई 1994 में अमेरिकी खाद्य व औषधि प्रशासन द्वारा इसको सुरक्षित मानते हुये लाइसेंस व बिक्री की मंजूरी दे दी गई थी।

मार्केट में क्यों नहीं सफल हुआ फ्लेवर सेवर टमाटर ?

अमेरिका में फ्लेवर सेवर टमाटर की खेती की मंजूरी मिलने के बाद किसान इसे पकने से पहले यानि हरा रहते ही तोड़ लेते थे। इन्हें बाजार में पहुंचने से पहले एथिलीन गैस द्वारा पकाया जाता, जिससे टमाटर पक तो जाता था, लेकिन प्राकृतिक परिवेश के हार्मोन की अनुपस्थिति में टमाटर का स्वाद बदल जाता था।  कंपनी द्वारा इसका कोई प्रभावी उपाय नहीं निकाला गया। दूसरी ओर अमेरिकी जनता ने फ्लेवर सेवर टमाटरों पर जीएमओ का टैग होने की वजह से इसे नकार दिया। 1997 में कैलगेन (CALGENE) कंपनी को फूड जॉइंट मोनसेंटो द्वारा अधिग्रहित कर लिया गया। इसके बाद आधिकारिक रूप से फ्लेवर सेवर टमाटर के उत्पादन का कोई समाचार नहीं है।

फ्लेवर सेवर टमाटर की भारत में क्या है स्थिति ?

भारत में जीएमओ (GMO)  टमाटर को लेकर फिलहाल कोई आधिकारिक सूचना नहीं है और ये भी नहीं कहा जा सकता है बाजार में ये नहीं है। हाल ही में फूडमेन द्वारा आरटीआई में पूछे गए जीएमओ (GMO)   को लेकर सवाल पर अभी तक FSSAI  द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया है। आज भी भारतीयों को नहीं पता कि जो टमाटर उनकी रसोई में है या उनके टमाटर सॉस या कैचप में है, वो विवादित फ्लेवर सेवर या कोई और GMO  परिष्कृत टमाटर है या जैविक टमाटर।