उत्तरकाशी में फूल की खेती बंद होने के कगार पर, किसानों को नहीं मिल रहा है उचित दाम

नई दिल्ली।  एक समय में उत्तराखंड़ के किसान फूलों की खेती से अपनी आजीविका को सुधारते थे। उत्तराखंड़ के उत्तरकाशी में हमेशा फूलों की महक रहती थी। लेकिन अब किसानों ने फूलों की खेती पर विराम लगा दिया है। जिसके कारण अब फूल की खेती बंद होने के कगार पर पहूंच गयी है। हिमालय एक्सन रिसर्च सेंटर हार्क संस्था के सहयोग से 2009 में कई क्षेत्रों में किसानों ने गेंदे की फूल की खेती करनी शुरू की थी, जो अब खत्म होने के कगार पर है। नैणी, मटियाली कृष्णा, धारी जैसे प्रमुख इलाके में गेंदें की खेती बढ़-चढ़ कर की जाती थी।

किसानों ने बताया की अन्य फसलों की खेती के अपेक्षा फूलों की खेती में मेहनत कम लगती है, इतना ही नहीं इसमें खर्च भी कम आता है। फूल की फसल पर कीट भी कम लगते हैं। किसानों ने फल के साथ फूलों की खेती को विकल्प के तौर चुना था। लेकिन बाजार में  भाव नहीं मिलने के कारण किसानाें ने अब फूल के खेती करना बंद कर दिया है।

कृष्णा, धारी जैसे प्रमुख क्षेत्रों में 2019 तक बड़े पैमाने पर फूलों की खेती की जाती थी। पहले इन इलाकों में 35 से ज्यादा किसान गेंदे के फूलों की खेती करते थे, जो अब मात्र 5 से 7 किसान फूलों की खेती कर रहे हैं। इसी साल के नवंबर में किसानों ने देहरादून की फूल मंडी में करीब 6 क्विंटल फूल भेजे थे। जिसका भाव मात्र सौ रुपए प्रतिकिलों के हिसाब से मिला था। रवांई घाटी फल एवं सब्जी उत्पादन एसोसिएसन के अध्यक्ष जगमोहन चंद्र ने बताया है कि बाजार में उचित दाम नहीं मिलने के कारण किसान फूलों का उत्पादन बंद कर दिया है।

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