Pineapple, also known as Ananas, can earn millions from its cultivation.

कैसे करें पाइनएप्पल की खेती

नई दिल्ली। पाइनएप्पल जिसे अनानास के भी नाम से जाना जाता है, यह खाने में स्वादिष्ट और पौष्टिक फलों में एक है। इसकी मांग पूरे देश भर में रहती है, जिसके कारण आप इसकी खेती से लाखों की कमाई कर सकते हैं। तो आज हम आपको बताएंगे कि कैसे आप इसकी खेती कर बढ़िया मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।

क्या है  पाइनएप्पल 

पाइनएप्पल या अनानास का पौधा कैक्टस प्रजाति का होता है। इसका वैज्ञानिक नाम अनानस कोमोसस है। यह एक खाद्य उष्णकटिबंधीय पौधा है। तकनीकी दृष्टि से देखें, तो यह मूलत: पैराग्वे एवं दक्षिणी ब्राज़ील में उपजता है। अनन्नास को ताजा काट कर भी खाया जाता है और शीरे में संरक्षित कर या रस निकाल कर भी सेवन किया जाता है।

दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त

पाइनएप्पल की खेती करने के लिए खेत की जल निकासी अच्छी होनी चाहिए। अगर हम मिट्टी की बात करे तो इसके लिए दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। वैसे पाइनएप्पल की कई किस्में होती हैं, जिनमें जायंट क्यू, क्वीन, रैड स्पैनिश आदि शामिल हैं.  इन किस्मों में से किसी एक का चयन करते समय, स्थानीय मौसम और मिट्टी की स्थिति को ध्यान में रखना चाहिए।

कैसे करें रोपाई

पाइनएप्पल का पौधा नर्सरी से भी ले सकते है। नर्सरी में सबसे पहले इसे बीज से उगाया जाता है। इसकी रोपाई वाले स्थान से जल निकासी होना बेहद जरूरी है। इसलिए ध्यान रखे की खेत में जलभराव की नहीं हो। अगर सिंचाई की बात करें तो पाइनएप्पल को 15 से 20 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की जाती है।

इसकी अच्छी उपज के लिए उर्वरक की जरूरत होती है, खेत तैयार करने से पहले ही इसमें गोबर की खाद और कम्पोस्ट मिट्टी में मिला दी जाती है। इसके बाद तीन हप्ते के बाद नर्सरी से लाए गए पौधों को खेत में लगानी चाहिए। कीट से बचाने के लिए कीटनाशक का प्रयोग करना होता है।

18 से 20 माह में फल तैयार

बता दें कि पाइनएप्पल की फसल 18 से लेकर 20 माह में तैयार हो जाती है। फसल पकने पर फल का रंग लाल-पीला हो जाता है। एक कृषि विशेषज्ञ के अनुसार एक हेक्टेयर में इसकी खेती करने की लागत 3 से 4 लाख तक आती है। वहीं इसकी कमाई की बात करें तो एक हेक्टेयर में 10 लाख तक की कमाई हो सकती है।

भारत में कहां-कहां होती है  पाइनएप्पल  की खेती

पाइनएप्पल  की खेती देश में मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, असम, मिजोरम केरल और आंध्र प्रदेश में की जाती है।अब मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तरप्रदेश के किसान भी इसका उत्पादन करने लगे हैं।