Uttarakhand-Farming

सरकार! ऐसे में कैसे चढ़ेगी बागवानी हब की परिकल्पना परवान

पौड़ी। देवभूमि उत्तराखंड को हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर बागवानी हब बनाने का दावा प्रदेश सरकारें राज्य स्थापना के दौर से ही करती आ रही हैं। पहाड़ों से हो रहे पलायन को रोकने की दिशा में भी बागवानी को आधार बताती रही है। लेकिन बागवानी को धरातल पर अमलीजामा पहनाने के लिए सरकार ने उद्यान विभाग को समुचित अधिकारी-कर्मचारी ही नहीं दिए हैं। ऐसे में कैसे बागवानी स्वरोजगार से स्थायी रोजगार का आधार बन पाएगा, यह चिंता का विषय है। पौड़ी जिले की बात करें, तो यहां उद्यान विभाग में अधिकारी-कर्मचारियों के 64 फीसदी पद खाली चल रहे हैं। जिले में अधिकारी-कर्मचारियों के कुल 342 पद स्वीकृत हैं, जिनमें सेवारत महज 120 सेवारत हैं। जबकि 222 पद वर्षों से खाली पड़े हैं।सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने में उद्यान विभाग की भूमिका अहम होती है। इस दिशा में सरकार अनेक दावे भी करती रही है। लेकिन स्थितियां इसके विपरीत हैं।
जनपद पौड़ी का उद्यान विभाग गिनती के अधिकारी-कर्मचारियों के हवाले है, जो अतिरिक्त दबाव में सेवाएं दे रहे हैं। जिले में अपर उद्यान अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी, लेखाकार, कनिष्ठ सहायक, चौकीदार, फीटर, फल संरक्षण केंद्र में वर्ग-1,वर्ग-3 में एक-एक, ज्येष्ठ उद्यान निरीक्षक के 4, सहायक उद्यान अधिकारी के 3, उद्यान निरीक्षक वर्ग-दो के 2 पद वर्षों से खाली पड़े हैं। सबसे खराब स्थिति पर्यवेक्षक व माली के पदों की है। जबकि इन पदों की विभाग को सबसे ज्यादा आवश्यकता है।
यहां पर्यवेक्षक के 24 स्वीकृत पदों के सापेक्ष मात्र 6 सेवारत हैं। जबकि 18 पद खाली पड़े हैं। माली के 91 पदों में केवल 12 सेवारत और 79 रिक्त चल रहे हैं। फल संरक्षण केंद्रों में कामदार के 6 पदों के सापेक्षक सिर्फ 1 सेवारत और 5 खाली पड़े हैं। वहीं उद्यान विशेषज्ञ कोटद्वार कार्यालय में वर्ग-1 के 8 पदों में 3, वर्ग-2 के 19 पदों में 12, वर्ग-3 के 26 पदों में 22, माली के 96 पदों में 85 खाली पड़े हैं।