IIHR चीफ ने दी जानकारी, ऐसे दुगुना करें बागवानी फसलों का उत्पादन
विकसित भारत’ की मांग को पूरा करने के लिए बागवानी उत्पादन को दोगुना करना होगा. यह बात IIHR के निदेशक तुषार कांति बेहेड़ा ने कही. इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च यानी IIHR के निदेशक बेहेड़ा ने कहा कि भारत को अपने बागवानी उत्पादन को दोगुना लगभग 7000 लाख टन तक पहुंचाना होगा तभी विकसित भारत की मांग पूरी हो सकेगी. बेहेड़ा के मुताबिक, अभी देश में लगभग 3500 लाख टन बागवानी फसलों का उत्पादन होता है. इसमें फल, सब्जियां और मसाले शामिल हैं. बेहेड़ा के मुताबिक, 2047 तक अगर देश को विकसित भारत बनाना है तो हमें बागवानी फसलों के उत्पादन को भी दोगुना तक बढ़ाना होगा.
7000 लाख टन चाहिए बागवानी उत्पादन
बेहेड़ा ने बताया कि 7000 लाख टन बागवानी उत्पादन का अनुमान इस आधार पर बताया जा रहा है क्योंकि 2047 तक देश की आबादी भी बड़ी संख्या में बढ़ चुकी होगी. उस समय की अनुमानित आबादी को देखते हुए 7000 लाख टन बागवानी फसलों की पैदावार की जरूरत होगी जो कि मौजूदा पैदावार से दोगुना है. ICAR-IIHR देश में बागवानी फसलों पर रिसर्च की सबसे बड़ी और प्रमुख संस्था है. इस संस्था ने उम्मीद जताई है कि अनुमानित आबादी की जरूरतों को पूरा करने में अधिक उपज देने वाली और क्लाइमेट स्मार्ट फसलें बड़ी भूमिका निभाएंगी. आईआईएचआर इन फसलों को बनाने पर लगातार काम कर रहा है और नए-नए बीज तैयार किए जा रहे हैं. संस्थान इसमें नई तकनीकों का सहारा ले रहा है जिसमें जीनोम एडिटिंग और प्रिसीजन फार्मिंग सबसे अहम है.
कृषि ग्रोथ रेट से अधिक बागवानी की वृद्धि
एक अच्छी बात ये है कि बागवानी फसलों का उत्पादन रेट अनाजों के उत्पादन रेट से अधिक हो गया है और 3 साल पहले से ही इसमें वृद्धि दर्ज की जा रही है. बागवानी फसलों का उत्पादन 8 परसेंट की दर से बढ़ रहा है जबकि कृषि उत्पादन लगभग 4 परसेंट के आसपास है. इस तरह कृषि की तुलना में बागवानी की ग्रोथ रेट दोगुनी है. बेहेड़ा ने इस बात पर जोर दिया कि हमारे पास जमीन के सीमित संसाधन हैं जिसमें बागवानी उत्पादन की मांग को पूरा करना है. इसके लिए उत्पादन को बढ़ाने पर जोर देना होगा और इसमें हाई क्वालिटी बीज और नई तकनीक काम आएगी. बदलते जलवायु को देखते हुए क्लाइमेट स्मार्ट फसलें और बीजों को बनाने पर जोर दिया जा रहा है.
नई फसल वैरायटी जारी करेगा IIHR
इस बात को ध्यान में रखते हुए आईआईएचआर बेंगलुरु में 30 करोड़ की लागत से एक जीनोम एडिटिंग का ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ शुरू करने जा रहा है. इस केंद्र में टमाटर, मिर्च, अंगूर, पपीता और अंगूर जैसी बागवानी फसलों पर रिसर्च होगी. बेहेड़ा ने कहा कि 11 फसलों पर रिसर्च पहले ही शुरू हो चुकी है. बहुत जल्द राष्ट्रीय बागवानी मेला शुरू होने वाला है. राष्ट्रीय बागवानी मेले में लगभग 5 नई फसल किस्में और तीन नई तकनीकें जारी की जाएंगी, जिनमें लीफ कर्ल वायरस और रूट फाइटोप्थेरा प्रतिरोधी मिर्च, उच्च कैरेटनोइड तरबूज और गमी स्टेम ब्लाइट प्रतिरोधी लौकी शामिल हैं. इस मेले में एक लाख लोगों के आने की उम्मीद है.