भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने राजस्थान के किसानों को दिया पपीते को रोगों से बचाने की सलाह
नई दिल्ली। राजस्थान के किसानों को पपीते की खेती करने में कई समस्या आ रही है। प्रदेश के हनुमानगढ़ के किसान राममोहन ने इस समस्या को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा के समक्ष रखा था। उनके खेत में पपीते के पेड़ की पत्ते मुड़ जा रही है। इस समस्या का सामाधान भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा संस्थान) ने कर दिया है। संस्थान ने राममोहन को बताया कि आपकी फसल में लीफ कर्ल नामक विषाणु का प्रकोप हुआ हैं। इसके समाधान हेतु सर्वप्रथम प्रभावित पौधों को खेत से हटा दें तथा रसायनिक नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड की 60-70 एमएल मात्रा को 200 लीटर पानी में घोल बनाकर 1 एकड़ में छिड़काव करें। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने प्रदेश के किसानों को पपीते में इमिडाक्लोप्रिड की छिड़काव करने की सलाह दी है।
क्या है लीफ कर्ल रोग
लीफ कर्ल फलस में लगने वाला एक वायरस जनित रोग है। देश के अलग-अलग इलाके में इसे कई नामों से जाना जाता है। इसे घुरचा रोग, कुकड़ा रोग, पर्ण कुंचन, पत्ती मरोड़ रोग, आदि नामों से भी जाना जाता है। इस रोग में पौधों के पत्ती सूखने लहती है, इसके साथ ही यह खेत में सभी पौधों में लग जाता है।
राजस्थान में की जाती है पपीते की खेती
राजस्थान में किसान बड़े पैमाने पर पपीते की खेती करते है। पपीते की खेती से किसानों को बेहतर कमाई भी हो रही है। पपीता की खेती कम खर्च में में आसानी से हो जाती है। वायरस जनित रोग लीफ कर्ल लगने से अब किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं।