बगीचे से निकाले गए व्यर्थ पदार्थों को जलाने की अपेक्षा खाद बनाना बेहतर
नई दिल्ली। हजारों की संख्या में किसान और बागवान पौधों की कांट छांट के बाद उनकी टहनियों को जला देते हैं। इससे वातावरण में प्रदूषण बढ़ता है और लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है। अब किसान और बागवान इन टहनियों को जलाने की बजाय उनकी खाद बना सकते हैं, जो पौधों में नमी बनाए रखने में मददगार होगी।
कृषि विज्ञान केंद्र शिमला की प्रभारी डॉ. उषा शर्मा ने बताया कि बगीचों से निकाले जाने वाले व्यर्थ पदार्थ को जलाने की बजाय उसकी खाद तैयार करना हर बागवान के लिए लाभदायक होगा। कटी टहनियों से बनाई जाने वाली खाद मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाती है।
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बागवानी विशेषज्ञों के अनुसार प्रूनिंग के दौरान काटी गई टहनियों को जलाने से हर वर्ष वायु प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है। इससे लोगों को सांस लेने में परेशानी होती है। खासकर इस दौरान दमा, अस्थमा रोगी और वृद्ध लोगों को परेशानी होती है। खुले में टहनियों सहित झाडि़यों को जलाने से पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरा होता है। धुआं उस हवा को प्रदूषित करता है जिसमें हम सांस लेते हैं। जलाने से बचा हुआ अवशेष मिट्टी और भूजल को प्रदूषित करता है तथा फसलों और पशुओं के माध्यम से मानव खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर सकता है। अब लोग इन्हें जलाने की बजाय पौधों के लिए अच्छी गुणवत्ता वाली खाद बनाकर तैयार कर सकते हैं।
इस तरह तैयार करें खाद
सबसे पहले पेड़ों से काटी जाने वाली टहनियों के छोटे छोटे टुकड़े कर लें। इसके बाद एक गड्ढा खोद कर काटी गई टहनियों के टुकड़ों को उनमें डाल दें। इसके बाद इसमें गोबर डाल कर इसे सड़ने यानी डी कंपोस्ट होने के लिए गड्ढे को ढक दें। गोबर मिट्टी की नमी को बनाए रखने में सहायक होता है। यह टहनियों को जल्दी सड़ाने में मदद करता है। इस खाद को तैयार करने में ज्यादा समय लगता है लेकिन तैयार होने के बाद यह बाकि खादों के मुताबिक ज्यादा लाभदायक होती है। दो से तीन साल के बाद जब यह पूरी तरह सड़ जाएगी तो इसका प्रयोग खाद के रूप में किया जा सकता है। इसी तरह पत्तियों सहित अन्य व्यर्थ पदार्थों का उपयोग भी खाद बनाने के लिए कर सकते हैं।
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