पर्याप्त बारिश नहीं होने से बागवानों की मुश्किलें बढ़ीं

रोहड़ू: पिछले तीन महीनों से पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण इसका सीधा प्रभाव सेब बागवानी पर पड़ा  है। बारिश में कमी के  कारण जमीन में नमी खत्म हो गई है, जिससे सेब के पौधों में चिलिंग प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही है। यह स्थिति बागवानों के लिए चिंताजनक बन गई है।  बारिश और बर्फबारी न होने से बगीचों में जरूरी काम रुके हुए हैं। सेब के अलावा बेमौसमी सब्जियों की बुआई-रोपाई पर भी गंभीर प्रभाव पड़ा है।

हिमाचल प्रदेश के बागवानों को अब अगले साल की फसल खराब होने का डर सता रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन महीनों की बारिश और बर्फबारी से नकदी फसलों और सेब उत्पादन को लाभ मिलता है, लेकिन लगातार सूखे के कारण बागवान बेहद परेशान हैं।

बागवान सुरेंद्र ठाकुर ने बताया कि नए पौधे लगाने की तैयारी इस महीने शुरू होनी थी, लेकिन सूखे के कारण गड्ढे खोदने का काम नहीं हो पा रहा है।  बागवान राम कृष्ण चौहान ने कहा कि बगीचों में तौलिए बनाने और गोबर मिलाने का काम भी ठप पड़ा है। दिन के समय अधिक तापमान के कारण पौधों में कैंकर की समस्या बढ़ रही है।

इसे भी पढ़ें: Tripura eyes economic growth through orchid farming

बागवानी विशेषज्ञ डॉ. नरेंद्र कायथ ने बताया कि जमीन में नमी न होने के कारण पौधों में चिलिंग प्रक्रिया नहीं हो पा रही। उन्होंने बागवानों को सलाह दी है कि सूखे मौसम में पौधों के साथ अनावश्यक छेड़छाड़ न करें। बगीचों में सूखी पत्तियां और टहनियां इकट्ठा होने पर उन्हें जलाने से बचें। बारिश और नमी के बाद ही बगीचों की देखभाल का काम करें।

बागवानों को उम्मीद है कि अगर अभी भी बारिश और बर्फबारी हो जाती है तो उनकी फसल और बागवानी की स्थिति बेहतर हो जाएगी और किसानों को कम से काम नुकसान होगा।