सेब बगीचों में पत्तियां जलाने से बढ़ा प्रदूषण

शिमला: मौसम बेहतर होते ही सेब के बगीचों में आमतौर से  काट-छांट और पत्तियों के जलाने का काम शुरू हो जाता है। सेब के पत्तों और टहनियों के जलने के कारण उठ रहे धुएं से वातावरण प्रदूषित हो रहा है। हालांकि पिछले कई सालों से प्रशासन की सख्ती के बावजूद प्रदूषण पर काबू नहीं पाया जा सका है। जबकि उपमंडल प्रशासन से लेकर पंचायत स्तर के अधिकारियों को यह निर्देश दिया गया  है कि दोषियों के खिलाफ सख्त करवाई  किया जाए।

उद्यान विभाग द्वारा दो तीन सालों से इसको रोकने के लिए गांव स्तर पर शिविर लगाया जा रहा है, और लोगों को बताया जा रहा है ही है कि प्रदूषण से सेब का फसल खराब हो जाता है। इसके लिए सरकार मशीन पर अनुदान भी दे रही है। वन विभाग पहले ही एडवाईजरी जारी कर चुका  है कि अगर  सरकारी भूमि के साथ लगते बगीचों में किसी ने आग लगाने की कोशिश की तो बागवानों के खिलाफ ठोस कदम उठाए जाएंगे और सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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हिमाचल प्रदेश जहाँ बहुत अधिक सेब की खेती होती है वैसे छेत्र में सर्दियों में हर साल पत्तियों और टहनियों को जलाने का सिलसिला शुरू होता है, जिससे  प्रदूषण का लेवल बहुत बढ़ जाता है। सांस के मरीजों के लिए धुंआ बहुत हानिकारक होता है। इतना ही नहीं छोटे बच्चों और सीनियर सिटिज़न के स्वास्थ्य पर इसका बहुत बुरा असर पड़ता है। बागवानों को जागरूक होना चाहिए ताकि फसल भी बेहतर हो और लोग भी सेहतमंद रहें।