नींबू की आधुनिक खेती से पाएं बेहतर उपज और गुणवत्ता
नई दिल्ली: भारत की प्रमुख बागवानी फसलों में से एक नींबू है। इसका उपयोग औषधीय, घरेलू और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है। किसान अगर वैज्ञानिक विधि और आधुनिक तकनीक से नींबू की खेती करें तो बेहतर उत्पादन और गुणवत्ता प्राप्त कर सकते हैं। नींबू की खेती के लिए उपजाऊ, बलुई दोमट मिट्टी और 5.5 से 7.5 पीएच वाली जमीन उपयुक्त होती है। खेत की गहरी जुताई, खरपतवारों को हटाना और जैविक खाद का उपयोग उत्पादन बढ़ाने में मदद करता है। प्रति हेक्टेयर में 15-20 टन गोबर की खाद डालने से मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है।
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किसानों को “कागजी नींबू”, “गंधराज नींबू”, “पंत नींबू-1” जैसी उन्नत किस्में चुननी चाहिए। रोपण मानसून (जुलाई-अगस्त) में करें और पौधों के बीच 4-5 मीटर की दूरी रखें। गड्ढों में गोबर की खाद, नीम खली और फफूंदनाशक डालना जरूरी है। नींबू को नियमित सिंचाई की जरूरत होती है। गर्मियों में हर 7-10 दिन और सर्दियों में 15-20 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। टपक सिंचाई प्रणाली (ड्रिप सिस्टम) पानी बचाने और पौधों को नमी देने का बेहतरीन तरीका है। फूल और फल बनने के समय पोटेशियम नाइट्रेट और जिंक सल्फेट का छिड़काव लाभदायक होता है।
फलों को समय पर चुनना जरूरी है। कटाई करते समय शाखाओं को नुकसान न पहुंचे, इसका ध्यान रखें। ठंड और अधिक गर्मी से बचाने के लिए पौधों को ढकें। सही विपणन और प्रसंस्करण इकाइयों को फसल बेचने से अधिक लाभ कमाया जा सकता है।
वैज्ञानिक तरीकों से नींबू की खेती कर किसान न केवल अपनी आय बढ़ा सकते हैं, बल्कि बेहतर गुणवत्ता वाले फलों का उत्पादन कर बाजार में अपनी अलग पहचान भी बना सकते हैं।