चानन: चानन के पहाड़ी इलाके में इन दिनों देहाती किशमिश के नाम से मशहूर महुआ के फूलों की खुशबू फैल गई है। महुआ की महक ने इन दिनों गांव की फिजा को सुगंधित कर दिया है और ग्रामीणों के चेहरों पर भी मुस्कान खिला दी है। गांवों में महुआ बीनने का उत्सव जैसा माहौल बन गया है। खेतों और जंगलों में महुआ के पेड़ों के नीचे गिरे फूलों को इकट्ठा करने के लिए छोटे बच्चे से लेकर बूढ़े-बुजुर्ग तक सभी लोग सुबह-सुबह निकल पड़ते हैं।
महुआ के फूलों को बेचकर ग्रामीणों को अच्छी आमदनी हो रही है। चानन के कुंदर, गोपालपुर और कजरा के जंगलों में महुआ के पेड़ बड़ी संख्या में हैं। महुआ के फूलों से स्वादिष्ट व्यंजन जैसे खीर, हलवा और लड्डू बनाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद हैं।
इसे भी पढ़ें: दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्रों में लगेगी मोबाइल एंटी-स्मॉग गन
कुछ लोग महुआ के पेड़ को ‘बटर ट्री’ के नाम से भी जानते हैं। इसके तना, छाल, फूल और पत्तियां सभी औषधीय गुणों से भरपूर हैं। महुआ के फूल खून की कमी (एनीमिया), पेट दर्द, सर्दी-जुकाम जैसी समस्याओं में फायदेमंद माने जाते हैं। महुआ का रस खांसी और बलगम जैसी परेशानियों में भी राहत देता है।
महुआ के फूल न सिर्फ खाने और औषधि के रूप में उपयोगी हैं, बल्कि पशुओं के चारे के तौर पर भी इनका खूब इस्तेमाल होता है। पाचन तंत्र को मजबूत करने, तनाव कम करने और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने में भी महुआ लाभकारी माना जाता है।