राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र ने कहा अब बिहार ही नहीं देश के 19 प्रदेशों में होगी लीची की खेती
नई दिल्ली।भारत में गर्मियों के मौसम में मिलने वाले प्रमुख फल लीची की खेती अब केवल बिहार के मुज्फ्फरपुर के आस-पास तक ही नहींअब इसकी खेती देश के विभिन्य भागों में की जाने लगी है। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र, मुजफ्फरपुर के निदेशक विकास दास ने बताया की लीची की खेती अब देश के 19 राज्यों में हो रही है। बता दें कि बिहार के मुज्फ्फरपुर में बड़े पैमाने पर लीची की खेती की जाती है। यह व्यावसायिक दृष्टीकोण से भी बेहतर है।
अब 19 राज्यों में होगी लीची की खेती
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र, मुजफ्फरपुर के निदेशक विकास दास ने पत्रकारों को बताया कि लीची की खेती से देश के किसानों को अच्छी कमाई होगी। अब बिहार के साथ-साथ आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, मणिपुर, असम, पंजाब, महाराष्ट्र, जम्मू और कश्मीर, गुजरात, अरुणाचल प्रदेश, राजस्थान और मिजोरम में लीची की खेती की बेहतर संभावना है। विकास दास ने आगे बताया कि वर्षा के कारण लीची को नुकसान होने की संभावना रहती है। निदेशक विकास दास ने कहा कि हम पूरे भारत में लीची की खेती करने के लिए किसानों को तकनीकी सहायता, पौधे और प्रशिक्षण देंगे
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उन्होंने आगे बताय कि देश के अन्य राज्यों के किसान लीची की खेती करने के लिए तैयार है। कुछ साल पहले लीची अन्य राज्यों में नहीं उगाई जाती थी। लेकिन अब समय बदल गया है। हमारे वैज्ञानिक किसानों से मिल कर लीची की खेती के लिए उनका आत्मविश्वास बढ़ा रहे हैं। जिसके कारण अब लीची की खेती का विस्तार हो रहा है।
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र कर रहा हैं पौधे तैयार
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र हर साल अपनी नर्सरी में हजारों लीची का पौधा तैयार कर रहा है। जिसे देश के अलग-अलग राज्यों में लीची की खेती करने वाले किसानों के लिए भेजा जा रहा है। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र दूसरे राज्यों के किसानों को चीनी, रोज सेंटेड, डी-रोज,अर्ली बेदाना, स्वर्ण रूपा, लालिमा और शाही जैसे प्रसिद्ध लीची के पौधे किसानों को उपलब्ध करा रहा है। निर्देशक विकास दास ने यह भी बताया कि लीची की खेती के लिए दूसरे राज्यों में भी वैज्ञानिकों को भेज कर वहां की जलवायु और उपयुक्त मिट्टी की अध्ययन करा लिया गया है।
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मौैसम बदलने से पड़ता है प्रभाव
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिकों के अनुसार लीची एक संवेदनशील फल माना जाता है। इसके लिए मिट्टी का उपयुक्त होना काफी अहम माना गया है। तापमान में बदलाव के कारण और जलवायु परिवर्तन के कारण लीची की फसल पिछले कुछ सालों में काफी प्रभावित हुई है। मौसम में बदलाव होने के कारण फल टूट सकते हैं, आकार में छोटे हो सकते हैं और कम मीठे और रसीले हो सकते हैं।
बिहार में होती है सबसे ज्यादा लीची की उत्पादन
लीची मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल में की जाती है। अकेला बिहार देश का एकलौता प्रदेश है जहां सबसे ज्यादा लीची की उत्पादन की जाती हैं। यहां 32,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रों में लीची की उत्पादन की जाती है। बिहार के बाद पश्चिम बंगाल और झारखंड का स्थान है। बता दें कि लीची की खेती पहले ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और असम में की जाती थी लेकिन यह व्यावसायिक नहीं हो पाई। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिकों ने कुछ साल पहले कर्नाटक और केरल के कुछ इलाकों में लीची की खेती शुरू की थी। लेकिन यह सफल नहीं हो पाया था।
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