प्रकृति का मिजाज: समय से पहले खिल गए फ्योंली के फूल
शिमला: जलवायु परिवर्तन के कारण प्रकृति का मिजाज तेजी से बदल रहा है। सर्दियों में बारिश और बर्फबारी में कमी होने के कारण तापमान दिनों दिन बढ़ रहा है, जिसे ग्लोबल वार्मिंग भी कहते हैं। इतना ही नहीं फूल और फल भी अपने समय से पहले खिल और पक रहे हैं। वसंत ऋतु के समय में उगने वाले फ्योंली का फूल इस साल जनवरी के पहले सप्ताह में ही खिल गया है, आम तौर से यह फूल मार्च महीने में निकलता है।
बसुकेदार क्षेत्र के कुंडा-दानकोट गांव के निवासी अश्विनी गौड़ बताते हैं कि इस बार उनके गांव में जगह-जगह फ्योंली के फूल खिले हुए हैं। जहां पिछले साल यह फूल जनवरी के मध्य में कहीं-कहीं दिखता था, इस बार यह बड़ी संख्या में समूहों में खिला है। केदारघाटी, मद्महेश्वर घाटी, कालीमठ घाटी और तल्लानागपुर सहित अन्य कई क्षेत्रों में भी यही स्थिति देखने को मिल रही है।
पर्यावरणविद जगत सिंह जंगली का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों, फूलों और फलों के उगने और पकने का समय प्रभावित हो रहा है। फ्योंली और बुरांश के फूल अब समय से पहले खिल रहे हैं और काफल के फल भी जल्दी लग रहे हैं। यह स्थिति पर्यावरण और प्रकृति के लिए चिंता का विषय है। मौसम में हो रहे इस बदलाव से प्राकृतिक चक्र बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है।
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फ्योंली फूल का वैज्ञानिक नाम फी्रल्ल ६ं१३्रिं ्रल्ल्िरूं है, जिसे येलो फ्लैक्स और गोल्डन गर्ल भी कहते हैं। यह हिमालयी क्षेत्रों और उत्तरी भारत में लगभग 1800 मीटर की ऊंचाई पर खिलता है। इसमें चार पंखुड़ियां होती हैं, लेकिन खुशबू नहीं होती। इसका नाम प्रसिद्ध वनस्पतिज्ञ कैस्पर जॉर्ज कार्ल रीवार्ड्ट के नाम पर रखा गया है।
फ्योंली नाम की कहानी
कहा जाता है कि देवगढ़ के राजा की सुंदर और गुणी बेटी फ्योंली की असमय मृत्यु के बाद, उसकी याद में बने स्मारक के पास यह पीला फूल खिला, जिसे फ्योंली नाम दिया गया। कवयित्री ममता राज शाह कहती हैं कि यह फूल बसंत के आने की खबर देता है और कवियों को प्रेरणा देता है।
आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर
वरिष्ठ पत्रकार जगदीश पोखरियाल बताते हैं कि फ्योंली न केवल अपनी सुंदरता के लिए मशहूर है, बल्कि यह आयुर्वेदिक औषधि के रूप में भी उपयोगी है। यह कई बीमारियों के इलाज में काम आती है। पहाड़ों में इस फूल पर कई लोकगीत गाए जाते हैं। फ्योंली और बुरांश के फूलों से बसंत में पहाड़ों की खूबसूरती बढ़ जाती है।