खेती की नई तकनीक से बढ़ी बिहार में केले की उत्पादन क्षमता

हाजीपुर: बिहार में केले की खेती बड़े पैमाने पर किया जाता है। इसकी बिक्री कई कारकों पर निर्भर करती है, जिनमें जलवायु, बाजार की मांग, खेती की पद्धतियाँ और स्थानीय बाजार की परिस्थितियाँ प्रमुख हैं। केला राज्य के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण फसल है, जो उनकी आय में बढ़ोतरी का बहुत बड़ा माध्यम बनता है। केले की खेती से बिहार के कई किसानों का घर चल रहा है।

यूँ तो केला सालो भर मार्किट में बिकता है लेकिन बिहार में गर्मी का मौसम (मार्च से जून) केले की खेती और बिक्री के लिए उपयुक्त  माना जाता है। इस समय का मौसम और तापमान केले की खेती  के लिए अनुकूल होता है, जिससे बाजार में केले की उपलब्धता बढ़ जाती है। फिर  मानसून का समय (जून से सितंबर) केले की रोपाई के लिए बहुत अच्छा होता है। हालांकि, अधिक वर्षा से जल-जमाव की समस्या होती है, इस कारण फसल  की गुणवत्ता पर असर पड़ता है।

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अक्टूबर और नवंबर में पहले की फसल का केला उपलब्ध होता है, छठ पूजा के समय केले की मांग विशेष रूप से कई गुना बढ़ जाती है। यह त्योहार बिहार में बहुत महत्वपूर्ण है, और इस दौरान लोग लंबी किस्म के केले को प्राथमिकता देते हैं। कई किसान अपनी फसल की कटाई  छठ पूजा के समय करते हैं, ताकि उन्हें केले की अच्छी कीमत मिल सके।

आधुनिक खेती पद्धतियाँ जैसे ड्रिप सिंचाई और दुसरे नई विधि से केले के प्रोडक्शन में बहुत इज़ाफ़ा हुआ है। यही वजह है कि आज बिहार के किसान जो केले की खेती कर रहे है अच्छी कमाई कर रहे हैं।