Electronic soil: अब मिट्टी भी हुई इलेक्ट्रॉनिक, 15 दिन में फसल होगी दोगुनी
नई दिल्ली। बदलते समय में कृषि क्षेत्र में भी टेक्नोलॉजी का विस्तार हो रहा है, इसी श्रृंखला में वैज्ञानिकों ने इलेक्ट्रॉनिक मिट्टी का अविष्कार किया है। इस तकनीक का इजाद स्वीडन की लिंकपिंग यूनिवर्सिटी ने किया है। इस नई तकनीक के माध्यम से कृषि कार्य करने के लिए मिट्टी की आवश्कता नहीं होगी। बिना मिट्टी की अब फसल को तैयार किया जाएगा। इसके साथ-साथ पैदावार भी बढ़ने की बात बताई जा रही है।
क्या है इलेक्ट्रॉनिक सॉइल?
बता दें कि बिना मिट्टी की खेती करने के लिए इस तकनीक का प्रयोग किया जा रहा हैं। वैज्ञानिकों ने इसका नाम हाईड्रोपोनिक्स रखा है। बताया जा रहा है कि लंबे समय से यह टेक्नोलॉजी हमारे बीच है और कुछ लोग इसका इस्तेमाल भी कर रहे हैं। इससे फसल उगाने के लिए मिनरल्स, पानी और बालू का इस्तेमाल किया जाता है। हाईड्रोपोनिक्स में मिनिरल न्यूट्रियंट साल्यूशन की मदद से फसल उगाई जाती है, और इस तकनीक से कही भी फसल पैदा की जा सकती है।
Read More: वरिष्ठ बागवानी अधिकारी की निकली भर्ती, जाने कैसे करें आवेदन
लिंकपिंग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस खेती की तकनीक में एक नए तरह के सब्सट्रेट का इस्तेमाल किया है जिसमें लाइट की मदद से इस सब्सट्रेट को उत्तेजित किया जाता है। यानि फसल की जो सतह है उसमें लाइट की मदद से फसल की जड़ो को तेजी से एक्टीवेट किया जाता है। जिसके कारण फसल की ग्रोथ जल्दी होती है।
15 दिनों में 50 प्रतिशत बढ़ सकता हैं फसल
जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित शोध से पता चलता है कि इलेक्ट्रिक मिट्टी में उगाए गए जौ के पौधे 15 दिनों में 50 प्रतिशत अधिक बढ़ गए जब उनकी जड़ों को विद्युतीय रूप से उत्तेजित किया गया. यानि जब जौ के पौधे की जड़ो को इलेक्ट्रिकली एक्टिवेट किया गया तो उनकी ग्रोथ सामान्य की तुलना में 50% तक 15 दिनों में बढ़ गई
स्वीडन में लिंकपिंग विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर एलेनी स्टावरिनिडो ने कहा कि दुनिया की आबादी लगातार बढ़ रही है और ग्लोबल वार्मिग की समस्या गंभीर है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में इस तरह के तकनीक से खान-पान के जरूरतों को पूरा करेंगे। बता दें कि इस टेक्नोलॉजी की मदद से आप वर्टिकल तरीके से खेती कर सकते हैं। जैसे इस हाईड्रोपोनिक्स सेटअप को एक टावर के फार्म में लगाया जाता है, और एक ही जगह पर कई फसल लगाई जाती हैं।
Read More: पंजाब में नर्सरियों के लिए बना नया नियम, अब तैयार करने होंगे वायरस मुक्त पौधे