भिंडी की खेती: स्वाद, सेहत और कमाई का ज़बरदस्त कॉम्बिनेशन
लखनऊ: गर्मियों का मौसम आते ही सब्जी बाजार में हरी-ताजी भिंडी की बहार दिखने लगती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भिंडी सिर्फ एक स्वादिष्ट सब्जी ही नहीं, बल्कि इसका उपयोग कई अन्य कामों में भी होता है । भिंडी के तने और जड़ें गुड़ और खांड को साफ करने में काम आती हैं, वहीं इसकी रेशेदार डंठलों का इस्तेमाल कागज और कपड़ा उद्योग में किया जाता है। यानी यह सब्जी स्वाद के साथ-साथ उद्योगों के लिए भी फायदेमंद है।
भिंडी गर्मी की फसल है और इसे उगाने के लिए 20 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान चाहिए। लेकिन अगर तापमान 42 डिग्री से ऊपर चला जाए, तो फूल झड़ने लगते हैं और फसल पर असर पड़ता है। गर्मी में भिंडी की औसतन पैदावार 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है, जबकि बरसात में यह 100 क्विंटल तक जा सकती है।
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भिंडी के लिए भुरभुरी और जैविक तत्वों से भरपूर दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। खेत को 3 से 4 बार जोतकर समतल करना चाहिए और क्यारियों में बांटना फायदेमंद होता है, जिससे सिंचाई आसान हो जाती है। अच्छी उपज के लिए खेत में प्रति हेक्टेयर 120 से 200 क्विंटल गोबर की खाद डालें। साथ ही 50 किलो नाइट्रोजन, 50 किलो फास्फोरस और 50 किलो पोटाश मिलाएं। बुवाई के एक महीने बाद फिर से 50 किलो नाइट्रोजन देने से उत्पादन बेहतर होता है।
गर्मी में कतार से कतार की दूरी 30 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 12 से 15 सेमी रखें। बारिश के मौसम में ये दूरी और बढ़ा देनी चाहिए। गर्मी में हर 5 से 6 दिन के अंतराल पर सिंचाई जरूरी होती है। बरसात में जरूरत पड़ने पर ही पानी दें। भिंडी की खेती में मेहनत तो लगती है, लेकिन सही तकनीक और देखभाल से यह मेहनत अच्छा मुनाफा देती है।