बिहार के सुपौल में पपीते की खेती ने बढ़ाई किसानों की आमदनी, कमा रहे हैं जबरदस्त मुनाफा
नई दिल्ली। आज के दौर में किसान परंपरागत खेती को छोड़कर खेती में अलग अलग तरह का प्रयोग कर रहे हैं। बिहार के सुपौल जिले में भी किसानों ने पारंपारिक खेती से हटकर गेंदे और औषधीय खेती की शुरुआत की। आजकल यहां के किसान पपीते की खेती कर खासा मुनाफा कमा रहे हैं। डपरखा पंचायत में पपीते की खेती की शुरुआत करीब दो साल पहले की गई। अब इस खेती का रकबा करीब सात एकड़ तक पहुंच चुका है। किसानों की आमदनी को देखकर अन्य किसानों ने भी इस इलाके में पपीते की खेती की शुरुआत की है।
सुपौल जिले के एक किसान जो पिछले एक साल से पपीते की खेती कर रहे हैं बताते हैं कि पहले यहां आलू की खेती बहुत होती थी इसके बाद यहां के किसानों ने औषधीय और गेंदे की खेती शुरू की। आजकल यहां किसान पपीते की खेती कर रहे हैं। डपरखा पंचायत में पपीते की खेती करीब दो साल पहले शुरू की गई। अब इस खेती का रकबा सात एकड़ तक पहुंच चुका है। इसकी खेती करनेवाले किसानों की आमदनी देख कई किसानों ने इसकी शुरुआत भी की है। किसान बताते हैं कि इस खेती से प्रति एकड़ सालाना एक लाख रुपये की आमदनी हो जाती है।
प्रखंड क्षेत्र के मिरजवा निवासी अरुण यादव ने पपीता की खेती को आर्थिक प्रगति का माध्यम चुना। परिणाम स्वरूप बेहद कम समय में ही पपीते की खेती कर अरुण ने अपनी तकदीर को बदल कर रख दिया। पपीता की खेती कर वे आत्मनिर्भर बन रहे हैं। हर दिन की कमाई उन्हें होती है। बेहद कम पूंजी और मेहनत के दम पर अरुण ने काफी मुनाफा पाया है। उन्होंने खेती को बाजार की मांग और जरूरत के हिसाब से बदल दिया।
नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड नंबर 25 में लीज पर लिए गए लगभग सात एकड़ खेत में लहलहाती पपीता की फसल किसानों के जीवन के साथ-साथ आमलोगों में मिठास भर रही है। प्रति एकड़ एक लाख रुपये मुनाफा देख अन्य किसानों का भी पपीते की खेती की ओर रुझान बढ़ रहा है।
एक एकड़ से की शुरुआत
अरुण यादव ने बीते वर्ष एक एकड़ में पपीता की खेती शुरु की थी। छह महीने में ही पौधे तैयार हो गए। फल आने लगा और अच्छी कमाई हो रही है। इसके लिए न तो बहुत ज्यादा मेहनत की और ना ही बहुत अधिक पूंजी ही लगाई। थोड़ी सी मेहनत से उन्हें लाभ मिला है। दूसरी सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को बाजार के लिए परेशान होना पड़ता था, जबकि उनके बागान पर व्यापारी आ कर पपीता खरीद कर ले जाते हैं। बताया कि 50 हजार रुपये से खेती शुरू की थी। अभी इस खेती से अगले तीन महीने तक फल मिलेंगे। जिससे कई गुना लाभ की उम्मीद की जा रही है। उन्होंने इस खेती से युवा किसानों को एक संदेश देने का काम किया है। अब तो दूसरे किसान भी इस खेती से जुड़ रहे हैं। वे दूसरे किसानों को भी जानकारी देने का काम करते हैं।
बाजार के लिए नहीं पड़ता है भटकना
किसान को पपीता बेचने को लेकर परेशान नहीं होना पड़ता है। घर में रह कर ही वे पपीता बेच लेते हैं। ज्यादातर पपीता व्यापारी घर आ कर खरीद कर ले जाते हैं। कुछ पपीता वे स्थानीय बाजार में ले जा कर बेचते हैं। एक पपीता की कीमत 30-40 रुपये होती है। बाजार में इसकी अच्छी कीमत मिलती है। साथ स्थानीय व्यवसायियों की डिमांड भी रहती है। मजेदार बात यह है कि पपीता के एक पेड़ में 10 से 15 फल निकलता है। जिससे कम पूंजी में इसकी अच्छी फसल होती है।
खेती करना है आसान
बताया कि इसकी खेती करना बहुत ही आसान है. इसमें लागत कम लगती है, मुनाफा सबसे अच्छा होता है। पपीते की खेती करते हुए हमने एक साल में लाखों रुपये से अधिक का फायदा किया है। बताया कि पपीते के पेड़ में करीब 40 से 50 किलो तक फल लगता है और इसकी कीमत मंडी में आमतौर पर 30 से 40 रुपये प्रति किलो होती है। –
कहते हैं उद्यान पदाधिकारी
प्रखंड उद्यान पदाधिकारी पंकज कुमार ने बताया कि उद्यान विभाग के अंतर्गत मुख्यमंत्री बागवानी मिशन के अंतर्गत किसानों को पपीता पौधा उपलब्ध कराया जा रहा है। किसानों को साढ़े छह रुपये प्रति पौधा दिया जायेगा। उन्होंने किसानों से पपीते की खेती करने की अपील की है ताकि किसान को अधिक मुनाफा हो सके। उन्होंने बताया कि पपीते की खेती करने वालों किसान को विभाग हरसंभव मदद करने को तैयार है।