आड़ू की बागवानी बनी किसानों की कमाई का ज़रिया

लखनऊ: जनवरी का महीना आड़ू की बागवानी के लिए बेहद अनुकूल है। सही जानकारी और थोड़ी मेहनत से किसान आड़ू की खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल में उद्यान विभाग के अपर प्रशिक्षण अधिकारी पुरुषोत्तम बडोनी ने बताया कि आड़ू की बागवानी शुरू करने के लिए सबसे पहले खेत का सही चयन करना जरूरी है।

आड़ू के पौधों के बीच 15-18 फीट की दूरी रखना आवश्यक है। पौधे लगाने के लिए एक मीटर गहरे गड्ढे खोदें। गड्ढा तैयार करते समय ऊपर और नीचे की मिट्टी को अलग-अलग रखें। पौधा लगाते समय नीचे वाली मिट्टी को ऊपर और ऊपर वाली मिट्टी को नीचे डालें।

इसे भी पढ़ें: लूणकरणसर ब्लॉक हाई-टेक हार्टिकल्चर मॉडल क्लस्टर के लिए चयनित

मिट्टी में 10 किलो गोबर की खाद, 50 ग्राम डीएपी, 100 ग्राम नाइट्रोजन एनपीके और 100 ग्राम एग्रोसोर मिलाना चाहिए। एग्रोसोर मिट्टी में नमी बनाए रखने में मदद करता है। यह प्रक्रिया पौधों के विकास के लिए बहुत जरूरी है।

अच्छी पैदावार के लिए शान-ए-पंजाब और सहारनपुर प्रभात जैसी किस्मों का चयन करना लाभदायक हो सकता है। आड़ू के पेड़ दो साल में फल देना शुरू कर देते हैं और लगभग 15 साल तक फल देते हैं। आड़ू के पेड़ों को समय-समय पर ट्रेनिंग और प्रूनिंग की जरूरत होती है। बाजार में आड़ू की कीमत लगभग 150 रुपये प्रति किलो तक होती है। इससे किसानों को बेहतर मुनाफा मिल सकता है।

आड़ू की खेती न केवल आर्थिक रूप से लाभदायक है, बल्कि यह किसानों के जीवन को भी समृद्ध बना सकती है। जनवरी में इसकी बागवानी शुरू करना एक सुनहरा अवसर है।