पालमपुर: देश का दूसरा और प्रदेश का पहला ट्यूलिप गार्डन स्थापित करने के बाद, पालमपुर स्थित हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (IHBT) ने एक और बड़े कदम की ओर बढ़ते हुए पियोनी फूल की खेती पर काम शुरू कर दिया है। बाजार में महंगे दाम पर बिकने वाला यह सुंदर फूल अब किसानों की आर्थिकी को मजबूती देने का नया जरिया बन सकता है।
पियोनी फूल की बाजार में भारी मांग है और फिलहाल यह नीदरलैंड से आयात किया जाता है। एक पियोनी फूल की डंडी की कीमत लगभग 350 से 400 रुपये तक होती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि हिमाचल की ठंडी जलवायु और अनुकूल मिट्टी पियोनी की खेती के लिए बेहद उपयुक्त है।
संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. भव्या भार्गव ने बताया कि पियोनी पर शुरू किए गए परीक्षण पहले चरण में सफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी की परिस्थितियां इस फूल की खेती के लिए अनुकूल साबित हो रही हैं। सावधानीपूर्वक अनुसंधान और विकास कार्यों से अच्छे परिणाम मिल रहे हैं।
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सीएसआईआर-आईएचबीटी के निदेशक डॉ. सुरेश कुमार यादव ने कहा, “हम फूलोत्पादन क्षेत्र में बेहतरीन काम कर रहे हैं। ट्यूलिप की सफल खेती के बाद अब हम पियोनी की खेती पर कार्य कर रहे हैं। देश में अभी तक किसी ने पियोनी की खेती का प्रयास नहीं किया है। हमारा संस्थान पहला है जिसने इसकी पहल की है और शुरुआती नतीजे बेहद उत्साहजनक हैं। हमें विश्वास है कि हम इस अद्भुत फूल की सफल खेती कर पाएंगे।”
अगर पियोनी फूल की खेती के ये प्रयास सफल रहे, तो निकट भविष्य में पालमपुर में देश का पहला पियोनी गार्डन भी स्थापित हो सकता है। यह क्षेत्र के पर्यटन को भी नई दिशा देगा और फूलोत्पादन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी।
पियोनी को सौभाग्य, सम्मान और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। चीन और जापान में इस फूल का विशेष महत्व है, जहां इसका खिलना शुभ संकेत माना जाता है। अब भारत में भी इसके फूलने का सपना जल्द सच हो सकता है।
हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से लगातार फूलों की खेती में नवाचार कर रहा है। आधुनिक तकनीकों के जरिए अब पालमपुर के किसान भी फूलोत्पादन के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छू रहे हैं और अपनी आर्थिक स्थिति को सशक्त बना रहे हैं।