रंग- बिरंगी फूलों का त्योहार है उत्तराखंड का लोक पर्व फूलदेई
नई दिल्ली। उत्तराखंड की प्राकृतिक खूबसूरती की चर्चा भारत क्या विदेशों में भी होती है। यहां के लोग प्राकृतिक के साथ जुड़कर रहते हैं। यहां की खान-पान से लेकर पहनावा-ओढ़ावा सबका अपना एक अलग रंग होता है। उत्तराखंड में एक ऐसा ही त्योहार होता है फूलदेई इस त्योहार में बच्चों की खास भूमिका होती है।
कैसे मनाते है फूलदेई
फूलदेई उत्तराखंड एक ऐसा त्योहार है जिसमें बच्चे फूल तोड़कर लाते हैं और पारंपरिक पोषाकों में लोकगीत गाते हुए हर घर में लेकर जाते है। फूलों से पूरे गांव को सजाते हैं। इस दिन खासतौर पर फ्योंली और बुरांस के फूलों का प्रयोग किया जाता हैं। लोकगीत गाते हुए बच्चे एक दूसरे के घर पर जाकर घोघादेवी की पूजा करते है। गढ़वाल-कुमाऊं में चैत्र माह की संक्रांति को मनाए जाने वाले बाल लोकपर्व- फूलदेई को लेकर बच्चों में उत्साह बना है। सुबह से ही बच्चों की टोलियां घर-घर जाकर देहरियों पर फूल डाल रही है।
सीएम धामी ने मनाया फूलदेई
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्पर सिंह धामी ने गुरुवार को मुख्यमंत्री आवास में सपरिवार धूमधाम से लोक पर्व फुलदेई मनाया। सीएम धामी की उपस्थिति में मुख्यमंत्री आवास में रंग बिरंगे परिधानों में सजे बच्चों ने फूल व चावल बिखेरकर पारंपरिक गीत ‘फूल देई छमा देई, जतुक देला, उतुक सई, फूल देई छमा देई, देड़ी द्वार भरी भकार’ गाते हुए त्योहार की शुरुआत की।