लगाइए लाल एलोवेरा, हो जाइए मालामाल

नर्सरी टुडे डेस्क 
नई दिल्ली। एलोवेरा (Aloe Vera) के बहुतेरे उपयोग हैं। सौंदर्य प्रसाधनों में इसका जितना अधिक इस्तेमाल होता है, उतना ही इसे जूस या पेय के रूप में पसंद किया जाता है। इसके उपयोग के चलते ही अधिकतर लोग इसे अपने गमलों में लगाना पसंद करते हैं। बड़े पैमाने पर उपयोग के चलते ही एलोवेरा की खेती (Cultivation of Aloevera) भी फायदेमंद है। फिलहाल यहां जो भी बात हो रही है, वो है हरे एलोवेरा (Green Aloe Vera) की बात… लेकिन यहां हम बात करेंगे लाल एलोवेरा (Red Aloe Vera) की। यह चर्चा इसलिए क्योंकि देश-विदेश में लाल रंग के एलोवेरा की मांग (Demand for Red Aloe Vera) बहुत ही अधिक है। जाहिर है इसकी खेती अधिक मुनाफे की दृष्टि से किसानों के लिए पहली पसंद है।
लाल एलोवेरा क्या है खास? 
हरे और लाल एलोवेरा में कोई खास अंतर नहीं है। दोनों ही हमारे लिए फायदेमंद हैं। हालांकि लाल एलोवेरा, हरे एलोवेरा से इस मायने में थोड़ा विशेष हो जाता है क्योंकि लाल एलोवेरा में एंटी-माइक्रोबियल गुण (Anti-microbial properties) पाए जाते हैं। यह गुण मानव शरीर के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। एंटी-माइक्रोबियल गुण होने के चलते लाल एलोवेरा फंगस और बैक्टीरिया की गतिविधियां को धीमा करने में मदद करता है।
भूमि की तैयारी 
अगर आप भी अपने खेत में लाल एलोवेरा की खेती करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको सबसे पहले भूमि की तैयारी करनी होगी। ऐसे में आपको पहले खेत की मिट्टी की अच्छे से जुताई करें और फिर उसमें सीढ़ी बनाएं। आपके खेत की मिट्टी समान रूप से समतल बनी होनी चाहिए।
खेत में डालें ये खाद 
खेत की तैयारी के बाद आपको मिट्टी में अच्छी फसल के लिए खाद का भी इस्तेमाल करना चाहिए। इसके लिए आपको फसल की रोपाई के बाद 2.5 टन/हेक्टेयर वर्मी कम्पोस्ट के साथ 20 टन/हेक्टेयर फार्मयार्ड खाद का प्रयोग करना होगा और साथ ही दीमक पर नियंत्रण के लिए आपको 350-400 किलोग्राम नीम की खली प्रति हेक्टेयर का इस्तेमाल करें।
मिट्टी कैसी चाहिए? 
एलोवेरा की खेती के लिए रेतीली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। ध्यान रहे कि मिट्टी में अच्छी जल निकासी होनी चाहिए। लाल एलोवेरा के लिए मिट्टी का PH मान 7-8.5 मात्रा में कार्बनिक पदार्थ वाली रेतीली मिट्टी होती है।
उचित जलवायु
लाल एलोवेरा की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु वाले क्षेत्रों में अच्छी से की जा सकती है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, यह एलोवेरा शुष्क और गर्म क्षेत्रों से संबंध रखती है। अगर आप एलोवेरा की खेती ठंडे मौसम में करते हैं, तो आपको इसका अच्छा लाभ नहीं मिलेगा।
सिंचाई  
लाल एलोवेरा की खेती (Cultivation of Aloevera) कम वर्षा वाले स्थानों में अच्छा प्रदर्शन देती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसकी खेती के लिए आपको अधिक पानी देने की आवश्यकता नहीं होती है। इसका रोपण करने के बाद ही आपको सिंचाई पर ध्यान देना चाहिए। जब आप इसकी पत्तियों की कटाई कर दें, तो आपको तुरंत हल्के पानी से सिंचाई करनी चाहिए। अगर आप वर्षा वाले स्थान पर रहते हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि आपको इसकी फसल में अधिक पानी जमाव नहीं होने देना चाहिए।
सूर्य प्रकाश 
लाल एलोवेरा के पौधे के लिए सबसे महत्वपूर्ण सूरज की रोशनी होती है। अगर आप इसे सही तरह से विकसित करना चाहते हैं, तो इसके लिए पौधों को एक दिन में 5-6 घंटे की तेज धूप की आवश्यकता होती है।
पौधों के बीच की दूरी 
अगर आप इसे गमले में लगाते हैं, तो फिर एक गमले में एक ही पौधा लगाएं और वहीं अगर आप इसे खेत में लगाते हैं, तो पौधों से पौधों के बीच की दूरी का ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए आपको एक पौधे के बीच 60 सेमी x 30 सेमी की दूरी को बनाए रखना है ताकि सभी पौधे सही तरीके से विकसित हो सकें।
कीट और रोग 
लाल एलोवेरा की खेती के दौरान आपको कीट व रोगों का भी बेहद ध्यान रखना है क्योंकि इसमें रोगों लगने की संभावना सबसे अधिक होती है, जोकि धीरे-धीरे पूरे पौधे को खराब कर देते हैं।
बता दें कि एलोवेरा में कवक रोग सबसे अधिक लगते हैं, जो पौधे की पत्तियों पर सफेद रंग के धब्बे और बेसल तने के झड़ने आदि कई तरह के रोगों को उत्पन करते हैं। इसके बचाव के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। जैसे कि पौधे में कभी भी रूक हुआ पानी न जमा होने दें। बरसात के मौसम में पौधे में जल निकास बनाएं। पौधे की सुरक्षा के लिए आपको खेत में फफूंदनाशकों का प्रयोग करना चाहिए। इसके अलावा आपको इसकी खेती में विक स्रोतों जैसे कीटनाशक साबुन, कच्चे लहसुन का रस, नीम का तेल (10,000 पीपीएम), 2-3 मिलीलीटर प्रति लीटर के हिसाब से डालना चाहिए।
एलोवेरा की कटाई
अब आप सोच रहे होंगे कि जैसे ही आपको एलोवेरा का पौधा बड़ा दिखाई दे, तो इसकी कटाई कर लेनी चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं है इसके लिए आपको ध्यान रखना चाहिए कि रोपण के 8 से 9 महीने पूरे होने चाहिए ताकि पौधा अच्छे से कटाई के लिए तैयार हो सकें। ध्यान रहे कि जब आप लाल एलोवेरा के पौधों की कटाई कर रहे हैं, तो आपको इसके रस को नष्ट नहीं करना है।
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