प्रदूषण और फॉग से भारत में बढ़ रही हैं सांस की बीमारियां

नई दिल्ली: भारत में दिनों दिन प्रदूषण  का स्तर बढ़ रहा है, सर्दी के मौसम में फॉग का प्रकोप भी बढ़ जाता है। इन दोनों के कारण लोगों में सांस की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। गाड़ियों से निकलने वाला धुआं, निर्माण कार्यों की धूल, और फैक्ट्रियों से निकलने वाले जहरीले गैसें से हमारा वातावरण गंभीर रूप प्रदूषित हो गया है। इससे इंसानों के फेफड़े और श्वसन तंत्र पर सीधा प्रभाव पड़ रहा है।

प्रदूषित हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5 और PM10), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂), और सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) जैसे हानिकारक तत्व सांस की बीमारियों को बढ़ा रहे हैं। इनसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, और फेफड़ों के कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 2018 में दुनियाभर में 4.2 मिलियन लोगों की मृत्यु वायु प्रदूषण के कारण हुई। खासतौर पर बच्चों और बुजुर्गों पर इसका ज्यादा बुरा असर देखने को मिलता है। बच्चों में प्रदूषण की वजह से ध्यान की कमी, सिरदर्द और फेफड़ों के विकास में रुकावट जैसी समस्याएं पैदा हो रही हैं।

प्रदूषण हर साल बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है। यह स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी खतरनाक है। यहाँ अहम् बात यह है की हम सभी को मिलकर कुछ न कुछ करना होगा ताकि प्रदूषण पर काबू पाया जा सके और लोगों को स्वच्छ हवा प्राप्त हो सके।