घाघ की वर्षा संबंधी लोकप्रिय कहावतें

ज्येष्ठ और आषाढ़ मास में आंधी, तूफान और बारिश देखते ही भारतीय किसानों को महाकवि घाघ याद आ ही जाते हैं। खेतों की जुताई-बुआई के गुर, वर्षा का पूवार्नुमान, पैदावार, पौधों में रोग और निदान, खान-पान, आहार-विहार आदि के साथ उनकी ज्योतिष वाणी के दोहे या मुहावरों की चर्चा आज भी प्रासंगिक है।

आदि न बरसे अद्रा, हस्त न बरसे निदान।
कहै घाघ सुनु घाघिनी, भये किसान-पिसान।।

अर्थात आर्द्रा नक्षत्र के आरंभ और हस्त नक्षत्र के अंत में वर्षा न हुई तो महाकवि घाघ अपनी स्त्री को संबोधित करते हुए कहते हैं कि ऐसी दशा में किसान पिस जाता है अर्थात बर्बाद हो जाता है।

आसाढ़ी पूनो दिना, गाज, बीज बरसन्त।
नासै लक्षण काल का, आनन्द माने सन्त।।

अर्थात आषाढ़ माह की पूर्णमासी को यदि आकाश में बादल गरजे और बिजली चमके तो वर्षा अधिक होगी और अकाल समाप्त हो जाएगा तथा सज्जन आनंदित होंगे।

उत्तर चमकै बीजली, पूरब बहै जु बाव।
घाघ कहै सुनु घाघिनी, बरधा भीतर लाव।।

अर्थात यदि उत्तर दिशा में बिजली चमकती हो और पुरवा हवा बह रही हो तो घाघ अपनी स्त्री से कहते हैं कि बैलों को घर के अंदर बांध लो, वर्षा शीघ्र होने वाली है।

उलटे गिरगिट ऊंचे चढ़ै।
बरखा होई भूइं जल बुड़ै।।

अर्थात यदि गिरगिट उलटा पेड़ पर चढ़े तो वर्षा इतनी अधिक होगी कि धरती पर जल ही जल दिखेगा।

करिया बादर जीउ डरवावै।
भूरा बादर नाचत मयूर पानी लावै।।

अर्थात आसमान में यदि घनघोर काले बादल छाए हैं तो तेज वर्षा का भय उत्पन्न होगा, लेकिन पानी बरसने के आसार नहीं होंगे। यदि बादल भूरे हैं व मोर थिरक उठे तो समझो पानी निश्चित रूप से बरसेगा।

चमके पच्छिम उत्तर कोर।
तब जान्यो पानी है जो।।

अर्थात जब पश्चिम और उत्तर के कोने पर बिजली चमके, तब समझ लेना चाहिए कि वर्षा तेज होने वाली है।

चैत मास दसमी खड़ा, जो कहुं कोरा जाइ।
चौमासे भर बादल, भली भांति बरसाइ।।

अर्थात चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को यदि आसमान में बादल नहीं है तो यह मान लेना चाहिए कि इस वर्ष चौमासे में बरसात अच्छी होगी।

जब बरखा चित्रा में होय।
सगरी खेती जावै खोय।।

अर्थात यदि चित्रा नक्षत्र में वर्षा होती है तो संपूर्ण खेती नष्ट हो जाती है। इसलिए कहा जाता है कि चित्रा नक्षत्र की वर्षा ठीक नहीं होती।

माघ में बादर लाल घिरै।
तब जान्यो सांचो पथरा परै।।

अर्थात यदि माघ के महीने में लाल रंग के बादल दिखाई पड़ें तो ओले अवश्य गिरेंगे। तात्पर्य यह है कि यदि माघ के महीने में आसमान में लाल रंग दिखाई दे तो ओले गिरने के लक्षण हैं।

सावन केरे प्रथम दिन, उवत न दीखै भान।
चार महीना बरसै पानी, याको है परमान।।

अर्थात यदि सावन के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को आसमान में बादल छाए रहें और प्रात:काल सूर्य के दर्शन न हों तो निश्चय ही 4 महीने तक जोरदार वर्षा होगी।

रोहनी बरसे मृग तपे, कुछ दिन आर्द्रा जाय।
कहै घाघ सुनु घाघिनी, स्वान भात नहिं खाय।।

अर्थात घाघ कहते हैं कि हे घाघिन! यदि रोहिणी नक्षत्र में पानी बरसे और मृगशिरा तपे और आर्द्रा के भी कुछ दिन बीत जाने पर वर्षा हो तो पैदावार इतनी अच्छी होगी कि कुत्ते भी भात खाते-खाते ऊब जाएंगे और भात नहीं खाएंगे।

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