रायबरेली के किसान शेखर त्रिपाठी ने पेश की नई मिसाल, सिंचाई करने से बंजर भूमि भी उगल रही है सोना

नई दिल्ली:   आज के बदलते समय में किसान रासायनिक खेती को छोड़कर प्राकृतिक और ऑर्गेनिक खेती की तरफ ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। देखा जाए तो खेती का स्वरूप ही पहले प्राकृतिक था, लेकिन देश की बढ़ती जनसंख्या ने किसानों को रसायनिक खेती करने पर विवश कर दिया। आज भले ही अनाज का उत्पादन ज्यादा हो रहा है, तो वहीं दूसरी ओर मिट्टी की सेहत भी खराब हो रही है। जिसके कारण लोगों में कई प्रकार के रोग हो रहे हैं । जिसके कारण किसान अब रासायनिक खेती को छोड़कर जैविक और प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के रायबरेली के रहने वाले किसान शेखर त्रिपाठी लगभग 10 एकड़ जमीन में पूरे तरीके से गोबर आधारित प्राकृतिक खेती करते हैं। प्राकृतिक खेती से आमदनी के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढ़ रही है।

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तालाब का पानी मिट्टी के लिए बन रहा है सोना

किसान गाय के गोबर और गोमूत्र का उपयोग करके जीवामृत और बीजामृत बनाकर प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। रायबरेली के किसान शेखर त्रिपाठी ने एक ऐसा ही मॉडल बनाया है जिसकी तारीफ अब सरकार की ओर से भी की जाने लगी है। बता दें कि शेखर त्रिपाठी ने 2017 में 10 एकड़ क्षेत्रफल में एग्रो फार्म का निर्माण किया। उनके पास अभी 60 से ज्यादा गाय हैं। वे दूध उत्पादन के साथ-साथ जौविक खेती करते हैं। बता दें कि किसान शेखर त्रिपाठी जैविक खेती के साथ दूध का व्यापार भी करते हैं। उन्होंने गोबर और गौमुत्र के लिए एक तालाब का निर्माण किया है। दोनों को एक पाइप के माध्यम से जोड़ दिया जाता है। इस तालाब में पानी के साथ गोबर की स्लरी और गौमूत्र भी पहुंचता है। जिसके कारण तालाब का पानी खेतों के लिए अमृत बन रहा है।

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आईएएस नहीं बना तो बना बड़ा किसान

सच ही किसी ने कहा हैं कि असफलता ही एक दिन सफलता का मार्ग दिखाती है। किसान शेखर त्रिपाठी कभी आईएएस बनना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने तैयारी की, लेकिन असफलता ही हाथ लगी। कोरोना काल के दौर में उन्होंने एक कोचिंग भी खोला जो नहीं सफल नहीं हो पाई। किसान शेखर त्रिपाठी ने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने 100 गायों के साथ एक गौशाला भी शुरू कर दी। इससे न सिर्फ दूध उत्पादन होता था बल्कि उन्होंने गाय के गोबर गोमूत्र से तीन तरह की खाद का भी निर्माण करने लगे। आज शेखर त्रिपाठी प्राकृतिक तरीके से अनाज का उत्पादन कर रहे हैं जो बाजार में अच्छे दामों में बेंचा जा रहा है।

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