बिहार में पहली बार लाल केले की खेती पर शोध
समस्तीपुर: लाल केला की लोकप्रियता को देखते हुए बिहार में पहली बार इसकी खेती पर अनुसंधान की शुरुआत की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य बिहार की कृषि जलवायु में लाल केले की उपयुक्तता, सर्वोत्तम रोपण समय, संभावित रोग और कीट प्रबंधन, और इसकी उपज क्षमता का अध्ययन करना है। लाल केले के तैयार पौधों दक्षिण भारत से मंगवाकर लगाया गया। इस शोध में पाया गया कि बिहार की जलवायु लाल केले की खेती के लिए उपयुक्त है।
लाल केला उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में पनपता है, और इसे बलुई दोमट व चिकनी दोमट मिट्टी में अच्छे जल निकासी के साथ उगाया जा सकता है। यह पौधा अत्यधिक ठंड के प्रति संवेदनशील होता है, इसलिए गर्म और आर्द्र मौसम इसके लिए अनुकूल हैं।
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खेती के दौरान जैविक खाद और संतुलित एनपीके उर्वरकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए , जबकि ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग केले की खेती के लिए लाभदयाक है । शोध में यह भी देखा गया कि लाल केले के पौधों पर कीटों और बीमारियों का असर हो सकता है, जैसे केला घुन और एफिड्स। इसके लिए जैविक कीट नियंत्रण विधियाँ अपनानी चाहिए, इसके साथ साथ मृत पत्तियों की छंटाई और डी-सकरिंग के माध्यम से पौधों की देख भाल ज़रूरी है।
बिहार राज्य में लाल खेती की आपार संभावनाएँ हैं, परंतु कीट और रोग प्रबंधन, मौसम की अनिश्चितता, और कुशल श्रमिकों की आवश्यकता जैसी चुनौतियाँ भी हैं। इनसे निपटने के लिए किसानों को जानकारी और संसाधनों से लैस करना जरूरी है।