रेड टेप मूवमेंट, लाल रिबन बांधकर पेड़ों को बचाने का संकल्प
नई दिल्ली: आज के डिजिटल युग में दुनिया तेजी से बदल रही है। पेड़ों की सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन सबसे अहम मुद्दे बन गए हैं; इन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। इससे निपटने के लिए हमें गंभीरता से सोचना होगा कि वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों को कैसे कम किया जाए। पेड़ CO2 को अवशोषित करने का सबसे अच्छा प्राकृतिक तरीका हैं, जो जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद करते हैं।
रेड टेप मूवमेंट की शुरुआत 5 जून 2008 को उत्तर प्रदेश के इटावा के तत्कालीन जिला बचत अधिकारी प्रभात मिश्रा ने की थी। इस आंदोलन का उद्देश्य पेड़ों और जैव विविधता की रक्षा करना था। छुट्टियों में स्वयंसेवक गांव जाकर पेड़ लगाते थे और ग्रामीणों की मदद से मौजूदा पेड़ों के तनों पर लाल रिबन बांधते थे।
लाल रिबन इस बात का संकेत होते हैं कि पेड़ों को काटना आने वाली पीढ़ियों के लिए हानिकारक है। 2008 से अब तक हज़ारों पेड़ों पर लाल रिबन बांधे गए हैं ताकि स्थानीय लोगों को प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से निपटने के महत्व के बारे में जागरूक किया जा सके।
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रेड टेप मूवमेंट अब वैश्विक “राइज़ फ़ॉर क्लाइमेट” पहल से जुड़ गया है। 8 सितंबर 2018 को उत्तर प्रदेश के 350 से अधिक ग्रामीण स्कूलों ने शिक्षकों के साथ मिलकर इस पर्यावरणीय अभियान में हिस्सा लिया। इसका उद्देश्य पेड़ लगाना, जलवायु परिवर्तन पर लोगों को जागरूक करना, और “मिशन शिक्षण संवाद उत्तर प्रदेश” के तहत जैव विविधता की रक्षा करने और पर्यावरण के अनुकूल जीवन जीने का संकल्प लेना था।
रेड टेप मूवमेंट हमें यह याद दिलाता है कि असली बदलाव जमीनी स्तर से शुरू होता है। यह आंदोलन “राइज़ फ़ॉर क्लाइमेट” कार्यक्रम का वैश्विक भागीदार भी जलवायु संकट से निपटने के लिए 2024 एक अहम साल है। हमें जीवाश्म ईंधन उद्योग को रोकने और 100% नवीकरणीय ऊर्जा के लिए आगे आने के लिए स्थानीय नेताओं और स्वयंसेवकों की ज़रूरत है।