बढ़ते तापमान के कारण उत्तराखंड में फलों के उत्पादन में आई भरी गिरावट

देहरादून: उत्तराखंड में जंगलों की  कटाई और प्रकृति के साथ हो रही छेड़छाड़ की वजह से जलवायु में बदलाव देखा जा रहा है। इस जलवायु परिवर्तन के कारण राज्य में बागवानी के क्षेत्र में कमी आ रही है। पहले पहाड़ी इलाकों में अखरोट, सेब, आलूबुखारा और नाशपाती का बहुत उत्पादन होता था क्योंकि यहां ठंडी जलवायु होती थी। लेकिन पिछले कुछ सालों में बढ़ते तापमान के कारण इन फलों का उत्पादन घट गया है।

पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर शोध करने वाले संगठन ‘क्लाइमेट ट्रेंड्स’ ने इस साल एक अध्ययन किया, जिसमें पाया गया कि 2016-17 में उत्तराखंड में 25,200 हेक्टेयर क्षेत्र में सेब का उत्पादन होता था, जो 2022-23 में घटकर 11,327 हेक्टेयर रह गया। इसका मतलब है कि सेब के उत्पादन में लगभग 30% की कमी आई है। इसी तरह नींबू के उत्पादन में भी 50% की कमी देखी गई है।

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‘क्लाइमेट ट्रेंड्स’ के अनुसार जलवायु परिवर्तन का असर बागवानी और फलों के उत्पादन पर साफ देखा जा सकता है। पहले ठंडे पहाड़ी इलाकों में लीची, आड़ू, सेब और नाशपाती जैसे फलों का अच्छा उत्पादन होता था, लेकिन अब तापमान बढ़ने के कारण इनका उत्पादन धीरे-धीरे काम हो रहा है। इन फलों को पकने के लिए न्यूनतम 7 डिग्री तापमान की जरूरत होती है, लेकिन अब तापमान ज्यादा होने के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है।

साल 2024 में 1227.2 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य मानसूनी बारिश से 8% ज्यादा थी। इस तरह जलवायु परिवर्तन का असर न केवल फसलों और फलों के उत्पादन पर, बल्कि ग्लेशियरों, पहाड़ों और मानव स्वास्थ्य पर भी हो रहा है।

 

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