हरियाणा में बागवानी पौधशाला विधेयक पर बवाल, नर्सरी संचालकों ने जताई नाराजगी
चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा में कृषि एवं बागवानी मंत्री श्याम सिंह राणा ने ‘हरियाणा बागवानी पौधशाला विधेयक-2025’ पेश किया था जिसे सर्वसम्मति से पास कर दिया गया। सरकार का दावा है कि इस कानून से राज्य में बागवानी क्षेत्र को मजबूती मिलेगी और किसानों को अच्छी गुणवत्ता की प्रमाणित पौध सामग्री उपलब्ध होगी। कानून के तहत सभी नर्सरियों का पंजीकरण अनिवार्य होगा और नकली या घटिया पौध बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। दोषियों को एक साल तक की सजा और एक लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है।
हालांकि सरकार की इस पहल से नर्सरी संचालकों और बागवानी क्षेत्र से जुड़े लोगों में नाराजगी है। उनका कहना है कि यह कानून छोटे नर्सरी संचालकों के लिए भारी पड़ेगा और नर्सरी चलाना मुश्किल हो जाएगा। इस कानून को लेकर राज्य में बागवानी जगत दो हिस्सों में बंट गया है – एक तरफ सरकार की सख्ती, दूसरी तरफ नर्सरी संचालकों की चिंता।
इंडियन नर्सरीमेन एसोसिएशन के अध्यक्ष वाई. पी. सिंह ने भी इस विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह कानून किसानों और नर्सरी मालिकों पर अतिरिक्त बोझ डाल देगा। उन्होंने सरकार से मांग की है कि कानून में संशोधन कर छोटे और मध्यम स्तर की नर्सरियों को राहत दी जाए।
हरियाणा सरकार द्वारा लागू किए गए सीड्स एंड पेस्टिसाइड्स एक्ट 2025 और हरियाणा बागवानी पौधशाला विधेयक 2025 ने प्रदेश के किसानों और बीज विक्रेताओं की चिंता बढ़ा दी है। नए कानून के तहत बीज या कीटनाशक बेचने में छोटी-सी गलती पर भी विक्रेताओं पर गैर-जमानती धाराओं में केस दर्ज हो सकता है, जिससे उन्हें 6 महीने से 2 साल तक की सजा और एक लाख रुपये तक का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है।
इसे भी पढ़ें: बागवानी फसल किसानों की आय बढ़ाने में कारगर होगी: विशेषज्ञ
देशभर की बीज कंपनियों ने हरियाणा में बीज की सप्लाई रोक दी है। इससे किसानों को समय पर बीज नहीं मिल पा रहे, जिससे फसल बोना मुश्किल हो गया है। कानून के विरोध में राज्यभर के बीज व कीटनाशक विक्रेताओं ने अपने प्रतिष्ठान बंद कर दिए हैं। इससे खेती से जुड़ी दवाइयों और बीज की खरीद नहीं हो पा रही, और किसान परेशान हैं।
सरकार ने बिना गहराई से समझे ‘सब-स्टैंडर्ड’ और ‘नकली’ बीजों को एक जैसा मान लिया है। जबकि कई बार विक्रेता कंपनी से ही बीज खरीदते हैं, लेकिन खराब निकलने पर दोष उनके सिर मढ़ा जाता है। बीज और दवा नहीं मिलने से किसान नई फसलें नहीं बो पा रहे। अगर स्थिति नहीं सुधरी, तो प्रदेश में खाद्यान्न उत्पादन पर बड़ा असर पड़ सकता है।
जहां एक ओर बागवानी पौधशाला विधेयक 2025 का उद्देश्य पौधों की गुणवत्ता सुधारना बताया गया है, वहीं सख्त नियमों के कारण छोटे नर्सरी संचालकों और किसानों पर कानूनी दबाव बढ़ सकता है। सरकार की मंशा भले ही अच्छी हो, लेकिन जिस तरह से ये कानून बिना व्यावहारिकता को समझे लागू किए गए हैं, उससे हरियाणा के बीज व्यवसाय और खेती पर संकट गहरा गया है। जरूरत है कि सरकार इन कानूनों पर दोबारा विचार करे और किसान तथा व्यापारी वर्ग को राहत दे।