फसलों को ठण्ड से बचाएं, मिलेगी अच्छी पैदावार

भोपाल: जाड़े का महीना शुरू होते ही किसानों को अपने फलों और सब्ज़िओं पर विशेष ध्यान देना पड़ता है।सर्दी के मौसम में फसलों की उत्पादकता पर बहुत बुरा असर पड़ता है, जिससे उनके बर्बाद होने कि भी संभावना बढ़ जाती  है। यही कारण है कि  शीतलहर में फसलों को  बचाना अहम हो जाता है, क्योंकि पाला फसलों की कोशिकाओं को बुरी तरह से प्रभावित करता  है जिससे उनके  विकास प्रक्रिया बाधित होती है। अधिक ठण्ड में  पौधों की पत्तियां और फूल झुलस कर बर्बाद हो जाते हैं, जिससे  उत्पादकता में कमी आ जाती है।

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कुछ सब्जियों और फलों पर ठण्ड का बहुत अधिक असर होता है जैसे  टमाटर, मिर्च, बैंगन, पपीता, और अमरूद। अधिक ठण्ड में अगर उनकी देख भाल सही से नहीं की जाए तो फसल के खराब होने की सम्भावना बहुत बढ़ जाती है। ठंड में उगाई जाने वाली फसलें करीब 2 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सहन कर सकती हैं, लेकिन इससे कम तापमान होने पर पौधों की कोशिकाएं जम जाती हैं। खासतौर से केले और पपीते जैसे पौधों की वृद्धि 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे तापमान में रुक जाती है, और वे झुलसे हुए नजर आने लगते हैं।

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, यदि शीतलहर हवा के साथ चलती रहे तो नुकसान कम होता है, लेकिन हवा के थमते ही पाले का असर बढ़ जाता है, जो फसलों के लिए हानिकारक होता है। पाले से बचाव के लिए किसान अपने खेतों में रात के समय धुआं कर सकते हैं, जिससे तापमान नियंत्रित रहेगा और पौधों को नुकसान से बचाया जा सकेगा। सर्दी के मौसम में फसलों को बचाने के लिए किसानों को  पॉलीहॉउस और शेडनेट का भी प्रयोग करना चाहिए।