दिल्ली में ग्रीन कवर बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञ एजेंसी बनाई
नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में ग्रीनरी में इज़ाफ़ा करने की बहुत ज़रुरत है, इसी के मद्देनज़र दिल्ली में हरित आवरण (ग्रीन कवर) बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक विशेषज्ञ एजेंसी के गठन का निर्णय लिया है। कोर्ट ने वन अनुसंधान संस्थान (FRI) को निर्देश दिया है कि वह एक हलफनामा दाखिल करे, जिसमें तय समय-सीमा के अंदर वनरोपण से जुड़े विभिन्न कदमों को लागू करने की योजना हो।
जस्टिस अभय एस. ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि यह एजेंसी दिल्ली में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान चलाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हरित क्षेत्र बढ़ाने का मतलब केवल वृक्षों की संख्या बढ़ाना ही नहीं, बल्कि वन क्षेत्रों का विस्तार भी है। इसलिए, दिल्ली सरकार (GNCTD) द्वारा कवर किए गए इलाकों में बड़े पैमाने पर पेड़ लगाए जाएंगे।
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कोर्ट ने कहा कि इस आदेश की एक प्रति वन अनुसंधान संस्थान को भेजी जाएगी। संस्थान हलफनामे में बताएगा कि परियोजना को पूरा करने में कितना समय लगेगा और इसके लिए कितनी धनराशि की जरूरत होगी। इसके आधार पर सरकार को निर्देश दिए जाएंगे कि वह आवश्यक बजट जारी करे।
दिल्ली में पिछले दस वर्षों में हरित क्षेत्र जरूर बढ़ा है, लेकिन जिस तेजी से इसे बढ़ना चाहिए, वह गति नहीं दिखी। खासतौर पर घने वन क्षेत्र कम हुए हैं। 2023-24 की एक रिपोर्ट के अनुसार, वन विभाग ने 82 लाख से अधिक पौधे लगाए। 2019 में दिल्ली का वन और वृक्ष आवरण क्षेत्र 324.44 वर्ग किलोमीटर था, जो 2021 में बढ़कर 342 वर्ग किलोमीटर हो गया।
केंद्र शासित प्रदेशों के मुकाबला में दिल्ली का वन क्षेत्र चंडीगढ़ 13.16% के बाद दूसरे स्थान पर यानी 9.91% है। उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से आने वाले समय में दिल्ली के ग्रीन कवर में बढ़ोत्तरी होगा, जिससे पर्यावरण में बेहतरी के साथ-साथ प्रदूषण में कमी और एयर क्वालिटी में भी सुधार होगा।