गुलाब की खेती में स्केल कीट से बचाव के उपाय

लखनऊ: गुलाब की खेती करने वाले किसानों और बागवानी प्रेमियों के लिए स्केल कीट एक बड़ी चुनौती है। ये छोटे, रस चूसने वाले कीट गुलाब के तने, पत्तियों और कलियों पर हमला करते हैं, जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं और उनकी उत्पादकता और सुंदरता पर असर पड़ता है। स्केल कीट गुलाब के पत्तों और तनों पर शहद जैसा स्राव छोड़ते हैं, जो काले कवक (शूटी मोल्ड) को आकर्षित करता है। इससे पौधों की प्रकाश संश्लेषण की क्षमता बाधित होती है और उनका विकास रुक जाता है ।

स्केल कीट संक्रमण को उसके कई लक्षणों से पहचाना जाता है, जैसे पत्तियों का पीला पड़ना और गिरना, पौधे की वृद्धि रुकना, तने और शाखाओं का सूखना, फूलों का समय से पहले गिरना, स्केल कीट से बचाव और नियंत्रण के बहुत ज़रूरी है नहीं तो फूल का फसल खराब हो जाएगा और उत्पादन में भी कमी होगी।

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स्केल कीट से बचाव के लिए पौधे कि नियमित निरीक्षण और छंटाई बहुत ज़रूरी है। वसंत और गर्मी के मौसम में गुलाब के पौधों की नियमित जांच करें। संक्रमित हिस्सों को तुरंत काटकर नष्ट करें। गिरी हुई पत्तियां और मलबा साफ रखें, जिससे कीटों के छिपने के स्थान खत्म हो सकें। साबुन के पानी से स्केल को धीरे-धीरे साफ करें। आवश्यकता पड़ने पर इमिडाक्लोप्रिड जैसे कीटनाशकों का सही मात्रा में प्रयोग करें। नए पौधों को लगाने से पहले उनकी जांच करें।

कीटनाशकों का बार-बार एक ही प्रकार से प्रयोग न करें, ताकि कीट प्रतिरोधक क्षमता न विकसित कर सकें। गुलाब की खेती में स्केल कीट का प्रभावी प्रबंधन जैविक, सांस्कृतिक और रासायनिक उपायों के संयोजन से ही संभव है। बागवानी में जैव विविधता को बढ़ावा दें और नियमित निगरानी से कीटों के प्रसार को नियंत्रित करें।