इस समय लीची के पेड़ों की विशेष देखभाल करें
नई दिल्ली। मार्च के समय में लीची के पौधे की विशेष देखभाल की आवश्कता होती है। लीची में लगने वाले प्रमुख कीटों का प्रबंधन के लिए बागवानों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अब बिहार के कृषि विभाग द्वारा लीची के किसानों के लिए जरूरी सलाह जारी की गई है। जीसकी जानकारी सूचना एवं जनसंम्पर्क विभाग ने दी है। ताकि बागवान समय रहते लीची की फसल से अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकें।
स्टिंक बग कीट
इस कीट के नवजात और वयस्क दोनों ही पौधों के ज्यादातर कोमल हिस्सों जैसे कि बढ़ती कलियों, पत्तियों, पत्ती वृत, पुष्पक्रम, विकसित होते फल, फलों के डंठल और लीची के पेड़ की कोमल शाखाओं से रस चूसकर फसल को प्रभावित करते हैं। स्टिंक बग कीट का प्रभाव पिछले साल पूर्वी चम्पारण के कुछ प्रखंडों में देखा जा गया था। कीटनाशक छिड़काव से यह तुरंत खत्म हो जाते हैं।
स्टिंक बग कीट को कैसे नष्ट करें
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र, मुजफ्फरपुर द्वारा अनुशंसित निम्नलिखित में से किसी भी कीटनाशक संयोजन का दो छिड़काव 15 दिनों के अंतराल पर करें। लेकिन ध्यान रहे कि फूल खिलने (परागण) के समय कीटनाशक का प्रयोग नहीं करें। थियाक्लोप्रिड, लैम्बडा साइहैलोथ्रिन, थियाक्लोप्रिड, डाइमेथोएट आदी कीटनासक का प्रयोग किया जा सकता है।
दहिया कीट से कैसे करें बचाव
लीची में लगने वाले दहिया कीट शिशु एवं मादा लीची के पौधों की कोशिकाओं का रस चूस लेते हैं, जिसके कारण मुलायम तने और मंजर सूख जाते हैं तथा फल गिर जाते हैं। इससे बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड, थायोमेथाक्साम, मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।