राजस्थान के अलवर में जल संकट, किसान कर रहे हैं बागवानी
नई दिल्ली। राजस्थान के अलवर जिले का भूजल स्तर 300 फीट से लेकर 800 फीट तक पहुंत गया है। इससे किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। किसानों ने परंपरागत खेती के साथ ही उद्यानिकी को अपनाना शुरू कर दिया । साल 2023 में राजस्थान के अलवर जिले के किसानों की ओर से एक हजार हेक्टेयर पर बागवानी की गई।
किसान परंपरागत खेती से दूर
अलवर में भूजल का स्तर 300 फीट से चार फीट तक चला गया है, जिससे जिले के किसानों में चिंता में है। इस कारण किसानों ने परंपरागत खेती के साथ ही बागवानी की खेती करना शुरू कर दिया है। सत्र 2023 से जिले में किसानों की ओर से एक हजार 370 हेक्टेयर पर बागवानी लगाई गई । इससे किसानों को फायदा मिल रहा है। कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक लीला राम जाट ने बताया कि किसानों को अधिक से अधिक बागवानी करनी चाहिए। जिससे कम पानी में किसानों को अधिक लाभ मिल सके।
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नीबू और आंवला की सबसे अधिक खेती
अलवर जिले में नीबू और आंवला की बागवानी सबसे अधिक की जा रही है। इसमें सबसे ज्यादा खेती वहीं होती है जहां पानी की कमी है। अलवर के कई क्षेत्रों में बागवानी को प्रथमिकता दी जा रही है। इसमें सबसे ज्यादा वह क्षेत्र शामिल है जहां की भूमि बंजर है। राजस्थान के ही राजगढ़, रैणी, बानूसर, बहरोड़, मालाखेड़ा और थानागाजी जिले के किसान नीबू और आंवला की खेती करते हैं। किसानों ने नीबू 480 हेक्टेयर और आंवला 425 हेक्टेयर पर लगाया गया है।
वहीं अलवर जिले में रामगढ़ में बेर, राजगढ़ में नीबू, मौसमी, बेलपत्र और आम, थानागाजी और मालाखेड़ा में आंवला, नीबू और पपीता, बहरोड़ में अनार और नीबू, उमरैण में पपीता और नीबू की पैदावार किसान कर रहें हैं।
इतने पर लगी हुई है बागवानी
- आम 30 – हैक्टेयर
- नींबू 480- हैक्टेयर
- अमरूद 55- हैक्टेयर
- अनार 25- हैक्टेयर
- बेर 150- हैक्टेयर
- आंवला 425- हैक्टेयर
- मौसमी 30- हैक्टेयर
- बेलपत्र 35- हैक्टेयर
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