फूलों की खेती से महकी महिला की जिंदगी
बाराबंकी: मेहनत और आत्मनिर्भरता से सब कुछ हासिल किया जा सकता है। इसकी ताज़ा मिसाल है निंदूरा ब्लॉक के विशुनपुर मजरे अखईपुर गांव की प्रमिला। फूलों की खेती ने उनकी जिंदगी को नई दिशा दी है। आज वह एक अच्छी ज़िंदगी जी रही हैं। बेहतर आमदनी से उनका परिवार आर्थिक रूप से मजबूत हुआ है, इतना ही नहीं लोकल महिलाएं भी प्रमिला से प्रेरित होकर फूलों की खेती को एक पेशे के रूप में अपना रही हैं, जिससे उनकी कमाई में इज़ाफ़ा हो रहा है।
प्रमिला पिछले पांच सालों से गेंदा की खेती कर रही हैं। शुरुआत में उन्होंने भोलेनाथ अजीविका महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़कर खेती की जानकारी ली। पहले एक बीघा में खेती की, लेकिन जब अच्छा मुनाफा हुआ तो अगली बार दो बीघा में गेंदा उगाया। आज उनकी मेहनत रंग ला रही है।
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प्रमिला रोजाना पांच से छह घंटे खेतों में काम करती हैं और हफ्ते में चार क्विंटल तक गेंदा के फूल उगाती हैं। लखनऊ के बाजार में उनके फूलों की अच्छी कीमत मिलती है, जिससे उन्हें महीने में 20 से 30 हजार रुपये तक मुनाफा हो जाता है। इस कमाई से वे अपने छह बच्चों को अच्छी शिक्षा और बेहतर जीवन देने में सक्षम हुई हैं।
प्रमिला की सफलता से अन्य महिलाएं भी प्रेरित होकर फूलों की खेती की ओर बढ़ रही हैं। यह कहानी बताती है कि सही जानकारी और मेहनत से महिलाएं भी आत्मनिर्भर बन सकती हैं और अपने परिवार की तकदीर संवार सकती हैं।