Women farmers were trained for natural farming.

प्राकृतिक खेती विषय पर कार्यशाला का आयोजन

नई दिल्ली।उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के कृषि विज्ञान केंद्र सोहना में रविवार को प्राकृतिक खेती के लिए महिला किसानों को प्रशिक्षित किया गया। इस अवसर पर कृषि विशेषज्ञों ने सभी महिला किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि आज के बदलते समय में किसानों को रासायनिक खेती छोड़ कर प्राकृतिक खेती अपनाना चाहिए। जिससे कम लागत में अधिक उत्पादन हो सके। केंद्र के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक व अध्यक्ष डॉ. ओमप्रकाश ने कहा कि किसानों को रासायनिक खेती छोड़ कर प्राकृतिक खेती अपनाना चाहिए। जिससे कम लागत में अधिक आय प्राप्त कर स्वस्थ जीवन पा सकते हैं। इस अवसर पर सभी कृषि वैज्ञानिक मौजूद थे।  सब्जियों की खेती प्राकृतिक विधि से करने की जानकारी दी।

प्राकृतिक खेती वह खेती होती है, जिसमे फसलों पर किसी भी प्रकार का रासायनिक कीटनाशक, मशीन एवं उर्वरको का प्रयोग नहीं किया जाता है। सिर्फ प्रकृति के दौरान निर्मित उर्वरक और अन्य पेड़ पौधों के पत्ते खाद, पशुपालन, गोबर खाद एवं जैविक कीटनाशक उपयोग किया जाता है।रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग से जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण प्रतिदिन बढ़ रहा है। किसानों की फसल पैदावार कमाई का आधा हिस्सा रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक खरीदने में चला जाता है। क्योकि रासायनिक कीटनाशन काफी महंगे होते है।