एरोमैटिक फसलों की खेती के लिए किसानों की मदद कर रही है सरकार, होता है मोटा मुनाफा
नई दिल्ली। पारंपरिक खेती में किसानों के घटते रुझान को देखते हुए अब सरकार भी किसानों को अलग अलग तरह की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसी कड़ी में केंद्र सरकार सुगंधित फसलों की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। एरोमा मिशन के तहत केंद्र सरकार किसानों को बाकायदा लेमन ग्रास, खस, मिंट, जिरेनियम, अश्वगंधा जैसी फसलों की खेती के लिए ट्रेनिंग दे रही है। इन फसलों की मदद से कई तरह के उत्पाद तैयार होते हैं। जिस कारण किसानों को काफी फायदा होता है।
लेमनग्रास
लेमनग्रास का इस्तेमाल सबसे ज्यादा साबुन, परफ्यूम, निरमा, डिटर्जेंट, तेल, हेयर ऑयल, लोशन, सिरदर्द की दवा व कॉस्मेटिक बनाने के लिए किया जाता है। इन प्रोडक्ट्स में से जो महक आती है वह इस पौधे से निकलने वाले तेल की होती है. लेमनग्रास पौधे इसकी खेती साल में किसी भी समय की जा सकती है।
जिरेनियम की खेती
जिरेनियम एक सुगंधित पौधा है। इसके पौधे से तेल निकालने का काम किया जाता है। इस तेल का इस्तेमाल औषधीय दवाएं, साबुन, इत्र और सौंदर्य प्रसाधन बनाने में किया जाता है। पहले इस फसल की खेती विदेशों में ज्यादा होती थी। फिलहाल भारत में भी इसकी खेती अब ठीक-ठाक पैमाने पर की जाने लगी है। जिरेनियम की खेती के लिए कम पानी वाली जगह की आवयश्कता होती है।
मेंथा की खेती
किसानों के बीच मिंट नाम से प्रचलित मेंथा की उपयोग भी दवाओं के साथ साथ इसके तेल का इस्तेमाल ब्यूटी प्रोडक्ट्स, टूथपेस्ट और केंडी बनाने में किया जाता है। इस समय भारत मेंथा तेल का सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
खस की खेती
किसानों के लिए खस की खेती बहुत लाभ का सौदा होता है। इसके प्रत्येक भाग जड़ पत्ती और फूल का प्रयोग से किसान मोटा मुनाफा कमा सकते हैं। इनका उपयोग महंगे इत्र, सुंगधीय पदार्थ, सौंदर्य प्रसाधनों तथा दवाइयों को बनाने में किया जाता है। फिलहाल देश में गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, बिहार और उत्तर प्रदेश में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है।
अश्वगंधा की खेती
अश्वगंधा एक देशी औषधीय पौधा होता है। इसका उपयोग आयुर्वेद में काफी किया जाता है। इसकी जड़ों का उपयोग आयुर्वेद और यूनानी दवाओं को बनाने में भी किया जाता है।
सुंगधित फसलों की ले सकते हैं ट्रेनिंग
सीएसआईआर-केंद्रीय औषधीय एवं सगंध अनुसंधान संस्थान (CIMAP) की तरफ से किसानों को सुगंधित फसलों की खेती की ट्रेनिंग भी दी जाती है। आप इसके लिए सीएसआईआर-केंद्रीय औषधीय एवं सगंध अनुसंधान संस्थान विजिट कर सकते हैं। साथ ही आप training@cimap.res.in पर मेल कर भी संस्थान से संपर्क कर सकते हैं।