कंप्यूटर इंजीनियर की नौकरी छोड़ बिहार के किसान प्रशांत ने कृषि क्षेत्र में रचा इतिहास

नई दिल्ली। बिहार के कटिहार जिले के कोढ़ा प्रखंड़ के खेरिया गांव के किसान प्रशांत कुमार चौधरी किसानों के लिए मिसाल बन गए हैं। प्रशांत दिल्ली के मल्टींमीडिया कंम्पनी की नौकरी छोड़कर खेती कर बंपर कमाई कर रहे हैं। प्रशात युवाओं को फलों की खेती के लिए जागृत भी कर रहे हैं। प्रशांत चौधरी ने अपनी मेहनत और काबिलियत के बल पर खेती के क्षेत्र में एक बड़ी मिसाल कायम की है। उनकी खेती की चर्चा बिहार के सभी जिलों में होने लगी है।

कृषि विभाग में भी चर्चा

प्रशांत की खेती की चर्चा अब बिहार के कृषि विभाग भी करने लगा है। एमआईटी से डिग्री प्राप्त कर प्रशांत चौधरी पहले कंप्यूटर इंजीनीयरिंग  की नौकरी करते थे लेकिन अब गांव में आकर खेती किसानी कर, अपने क्षेत्र का नाम रौशन कर रहे हैं। उन्होंने अपने 15 एकड़ कृषि भूमि पर चंदन, महोगनी के अलावा कई प्रकार के फलों की खेती की हैं।

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विभिन्य प्रकार के फलों की खेती

प्रशांत कुमार सिंह ने बताया कि उनके बागवानी में आम, लीची, अमरूद, नींबू, पपीता, सेब, इलायची, संतरा और जपानी लीची की खेती की जा रही है। इनके बागवानी में सबसे बड़ी खास बात यह है कि यहां मिंया जाकी नामक आम का पौधा लगा हुआ है, जिसका दाम अंतराष्ट्रीय बाजार में दो से ढ़ाई लाख रुपए हैं। प्रशांत कि खेती में सबसे बड़ी बात है कि वे अपने खेतों में रसायनिक खाद का प्रयोग नहीं करते, हमेशा जैविक खाद का प्रयोग करते हैं।

आठ एकड़ में नींबू की खेती

प्रशांत किशोर सिंह ने अपनी बागवानी में लगभग 8 एकड़ में छह प्रकार की नींबू की खेती की हैं। जिसमें  कागजी नींबू, सदाबहार नींबू, यूरेका नींबू, विक्रम नींबू, कोलकाता पाती नींबू व शिडलेस नींबू  को लगाया गया है। किसान प्रशांत किशोर सिंह ने बताया कि एक नींबू के पेड़ में 5000 फल प्रति वर्ष हो रहा है।

नौकरी छोड़ शुरू की सेब की खेती

एमआईटी डिग्री प्राप्त प्रशांत कुमार चौधरी दिल्ली में कंप्यूटर इंजीनियर की नौकरी करते थे। बाद में नौकरी छोड़कर वे अपने गांव लौटे और किसानी को अपनी कमाई का जरिया बनाया और खेती करने लगे, किसान प्रशांत बताते हैं कि उन्हें बागवानी करने का शौक बचपन से ही था मगर एमआईटी की डिग्री लेने के बाद वे दिल्ली में कंप्यूटर इंजीनियरिंग की नौकरी करने लगे। फिर वे नौकरी छोड़ कर अपने गांव लौट आए और गांव में ही अपनी 15 एकड़ जमीन में बागवानी करने लगे।