ERCP project will change the picture of agriculture and horticulture in 13 districts of Rajasthan: Kirodilal Meena

ईआरसीपी परियोजना से राजस्थान के 13 जिलों में बदलेगी कृषि-बागवानी की तस्वीर : किरोड़ीलाल मीणा

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने राजस्थान को ईआरसीपी के रूप में एक बड़ी सौगात दी है। हमें बूंद बूंद पानी को संचय करने के साथ उसके सदुपयोग पर ध्यान देगा होगा। साथ ही पानी को खर्च करने में मितव्ययिता दिखानी होगी। यह सीख केंद्रीय कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने किसानों, बागवानों और संबंधित अमले अपने एक वक्तव्य में दी है। वे गुरुवार को राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान में तीन दिवसीय राष्ट्रीय बागवानी शिखर सम्मेलन  का उद्घाटन करने के बाद उसे सम्बोधित कर रहे थे।

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राजस्थान देश का सबसे बड़ा प्रदेश है। लेकिन, जल उपलब्धता 0.1 फीसदी के करीब है। जबकि, यहां भूमि की उर्वरता काफी अच्छी है। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित नई तकनीक और नई किस्मों को धरातल पर उतार कर न केवल किसानों की आय को बढ़ाया जा सकता है। बल्कि, कृषि परिदृश्य में भी बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।

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कृषि मंत्री ने कहा कि प्रदेश में चंबल ऐसी नदी है, जिसमें पर्याप्त जलनिधि उपलब्ध है। प्रधानमंत्री द्वारा ईआरसीपी परियोजना को मंजूरी दिए जाने के बाद अब पांच नदियों को जोड़कर प्रदेश के 13 जिलों को पेयजल के साथ-साथ सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जायेगा। इससे पूर्वी राजस्थान में बागवानी के साथ-साथ कृषि फसलों के उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि संभव होगी।

उन्होंने घटती कृषि जोत और उलपब्ध जल को देखते हुए किसानों से संरक्षित खेती, सूक्ष्म सिंचाई और बागवानी से जुड़ऩे का आह्वान किया। साथ ही, रिसर्च को लैब से लैण्ड तक पहुंचाने की आवश्यकता जताई। उन्होंने श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर द्वारा तैयार 60 करोड़ लीटर क्षमता वाले वाटर रिसाईक्लिंग प्लांट की प्रशंसा की। साथ ही, शिखर सम्मेलन में आने वाले सुझावों को सरकार के विजन डॉक्यूमेंट में शामिल करने का आश्वासन भी दिया।

कार्यक्रम को वाईएसआर बागवानी विश्वविद्यालय, गोदावरी, आंधप्रदेश के कुलपति डॉ. टी जानकीराम ने भी सम्बोधित किया। उन्होंने बागवानी फसलों का उत्पादन और उत्पादकता बढाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों से एआई, सेंसर और नैनो तकनीक उपयोग में लाने पर जोर दिया। साथ ही, फूड इंडस्ट्रीज की मांग के अनुरूप प्रसंस्करण योग्य और पोषकता से भरपूर फल-सब्जी किस्मों के विकास की आवश्यकता जताई।

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