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नई दिल्ली:आजकल नारियल की खेती विशेष रूप से किसानों के बीच लोकप्रिय हो रही है। नारियल की लोकप्रियता उसमे पाए जाने औषधिए गुणों के कारण तेज़ी से बढ़ रहा है। किसानों के लिए नारयल की खेती एक लाभकारी व्यवसाय साबित हो रही है, क्योंकि इसका मार्किट वैल्यू बहुत है जिससे किसानों को अच्छी आय भी प्राप्त हो रही है। इसके साथ ही, नारियल से बनने वाले उत्पादों की भारतीय बाजार में तेज़ी से मांग भी बढ़ रही है।
नारियल की खेती के लिए रेतली या काली मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है, क्योंकि इसमें जल निकासी की अच्छी क्षमता होती है। अत्यधिक जलभराव नारियल के पौधों के लिए हानिकारक है, इसलिए जल निकासी की सही व्यवस्था होना जरूरी है। नारियल की खेती के लिए 25 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त मानी जाती है।
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नारियल के पौधों को नियमित रूप से पानी की आवश्यकता होती है, विशेषकर सूखे मौसम में। अधिक पानी देने से जलभराव का खतरा रहता है, जिससे पौधों की जड़ों को नुकसान पहुंच सकता है। इसके अलावा, नारियल के पौधों में गोबर की खाद और संतुलित रासायनिक उर्वरकों का उपयोग जरूरी है। नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम का सही अनुपात पौधों की अच्छी वृद्धि और फलों की गुणवत्ता में वृद्धि करता है।
नारियल के पौधे कई प्रकार के कीटों और रोगों से प्रभावित हो सकते हैं, जैसे कि नारियल का रुई जैसा कीट और पत्तियों का झुलसना। इससे बचाव के लिए जैविक और रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
नारियल की कटाई के लिए सही समय का चुनाव करना फलों की गुणवत्ता को बढ़ाता है। हल्के हरे से भूरे रंग के नारियल को काटना उचित रहता है। अधिक पके हुए नारियल का उपयोग कोपरा और तेल निकालने के लिए किया जा सकता है, जबकि कच्चे नारियल का उपयोग पानी के लिए होता है।