लीची के लिए खास है अप्रैल का महीना
नई दिल्ली। अगर आप लीची की खेती करते है तो अप्रैल का महीना आपके लिए बेहद खास हो सकता है। लीची की पहचान पूरे देश में है। बिहार के मुजफ्फरपुर की स्वाद पूरे विश्व में है। लीची अपने आकर्षक रंग, स्वाद और क्वालिटी के लिए लोकप्रिय है। लीची से जैम, जेली और शरबत आदि बनाया जाता है। जिस वजह से किसान लीची की बागवानी करना पसंद करते हैं।
बिहार के बागवानों के लिए बिहार कृषि विभाग ने अप्रैल महीने में लीची के पौधे में की जाने वाली कामों के लिए एडवाइजरी जारी किया है। इसमें विभाग ने अप्रैल महीने में बागान में क्या करें उसके 8 प्वाइंट के बारे में बताया है. आइए जानते हैं क्या हैं वो 8 प्वाइंट।
- अगर लीची की शाही किस्म में फल लग चुके हैं और फल लौंग के आकार के हो गए हैं तो बागान से किसान मधुमक्खी के बक्सों को हटा दें।
- यदि आपके लीची का फल लौंग के आकार का हो गया है तो बागान में हल्की सिंचाई कर दें।
- साथ ही फल अगर लौंग के आकार का हो गया हो तो 8 से 12 वर्ष के पौधों में 350 ग्राम यूरिया और 250 ग्राम पोटेशियम सल्फेट डालें।
- लीची के मंजर को झुलसा और अन्य रोगों से बचाने के लिए कवकनाशी थायोफेनेट मिथाइल 70 फीसदी और डब्ल्यूपी 2 ग्राम प्रति लीटर का छिड़काव करें।फलों के पकने तक बाग में सिंचाई का बेहतर प्रबंधन करें, ध्यान रखें की नमी बनी रहे।
- लीची के फलों को बेधक कीट से बचाव के लिए थीयाक्लोप्रिड को 6 लीटर पानी में दवा का घोल बनाकर हर दो दिन में छिड़काव करें।
- लीची के फलों को झड़ने से रोकने के लिए फल लगने के 7 से 10 दिन बाद प्लानोफिक्स का घोल बनाकर छिड़काव करें।
- फलों को फटने की समस्या से रोकने के लिए फलों के लौंग के आकार के हो जाने के बाद पौधों में बोरेक्स और जल में घुलनशील बोरॉन को 4 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
- फल लगने के 20 से 25 दिन बाद गुलाबी और सफेद रंग के नोन वुवन पॉलीप्रोपाइलीन बैग से लीची के गुच्छों ढ़ंक दें।